एक ओर राजनैतिक दलों के सदस्य, जागेश्वर मंदिर,अल्मोड़ा के प्रबंधन समिति के पदों पर कब्जा जमाने को बेताब हैं। दूसरी ओर अंतिम सूची तैयार करने में प्रशासन के पसीने छूटे हुए हैं। प्रबंधन समिति का गठन आला अधिकारियों के लिए गले की फांस बना हुआ है। इसी का नतीजा है कि एक माह बीतने के बावजूद अधिकारी सूची को राज्यपाल तक नहीं पहुँचा पाए हैं।
दरअसल, जागेश्वर प्रबंधन समिति का कार्यकाल बीते जून में ही खत्म हो गया था। लिहाजा तत्कालीन डीएम सविन बंसल ने बीते 28 मई को कमेटी गठन की विज्ञप्ति जारी कर दी थी। आवेदन के लिए भाजपा नेताओं का जमावड़ा लग गया था। जिसमे प्रदेश से लेकर मंडल स्तर के भाजपाइयों ने आवेदन किये थे। इस मामले ने मीडया में खूब सुर्खियां बटोरी थी। मामला संज्ञान में आते ही डीएम ने मामले की जांच आनन-फानन में एलआईयू को शौप दी थी। एलआईयू जांच में छह भाजपाई और दो कांग्रेसियों द्वारा कमेटी में पद के लिये आवेदन की पुष्टि हुई थी। लिहाजा डीएम ने पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था। इससे प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल आ गया था।
इसके बाद एक जुलाई को प्रशासन की ओर से दोबारा विज्ञप्ति जारी की गई थी। सूत्रों के मुताबिक पहली मर्तबा राजनैतिक कारणों से जिन नेताओं का आवेदन निरस्त किया गया था, उन्होंने दोबारा आवेदन कर दिए थे। वह नेता पद हथियाने को एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।20 जुलाई को आवेदन की अंतिम तिथि रखी गई थी। इस बार प्रबन्धक पद के लिए 16 जबकि उपाध्यक्ष पद कब लिए चार आवेदन सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक पार्टी से जुड़े नेताओं के नाम आगे बढ़ाने के लिए अधिकारियों पर जबर्दस्त प्रेसर पड़ रहा है। यदि प्रशासन छह नेताओं के नाम आगे फारवर्ड करता है तो छह वास्तविक दावेदार बाहर हो जाते हैं। ऐसे हालात में बड़ा बवाल होने की भी पूरी आशंका अधिकारी जता रहे हैं। लिहाजा वह अब भी असमंजस में पड़े हुए।
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एलआईयू रिपोर्ट और विज्ञप्ति बन रही है फ़ांस
पिछले डीएम ने आवेदन पत्रों की जांच एलआईयू से कराई थी। तब एलआईयू ने जो रिपार्ट डीएम को सौंपी थी उनमे सभी अयोग्य आवेदकों के नाम, राजनीतिक पद, नेताओं से सम्बंध और राजनैतिक बैकग्राउंड का पूरा जिक्र किया है। इसके अलावा तत्कालीन डीएम ने अखबारों में दूसरी बार जो विज्ञप्ति जारी की है उसमें एलआईयू की रिपोर्ट का साफ-साफ हवाला देते हुए सात आवेदकों के राजनीति से जुड़े होने के कारण आवेदन निरस्त करने का जिक्र किया है। ऐसे हालात में तमाम दबावों के बाद भी अधिकारी अपनी कलम नहीं फसाना चाहते हैं।
कोर्ट जाने की भी तैयारियां पूरी
सूत्रों के मुताबिक वास्तविक दावेदार प्रसाशन के हर मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। उन दावेदारों का मानना है कि प्रशासन योग्य लोगों की पैरवी करे। राजनैतिक व्यक्ति के चयन होने पर योग्य दावेदारों ने मामले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की ठानी हैं। बाकायदा उन्होंने तमाम साक्ष्य भी एकत्र कर लिए हैं।
जिले के कुछ नेता दे रहे दखल
सूत्रों के मुताबिक बीते चुनाव में सहयोग के एवज में जिले के नेता अपने कार्यकर्ताओं को मंदिर कमेटी में बिठाने को आमादा हैं। ये नेता नियम विरूद्ध तरीके से अपने कार्यकर्ताओं को पद दिलाने के लिए सत्ता की हनक अधिकारियों पर गांठ रहे हैं। इससे लोगों में खासा आक्रोश भी व्याप्त है। सूत्रों के मुताबिक मंदिर में दखल दे रहे नेताओं की शिकायत उसी पार्टी के कुछ नेता राष्टीय स्तर के दो शीर्ष नेताओं तक पहुंचा चुके हैं। आने वाले दिनों में ऐसे नेताओं के खिलाफ पार्टी स्तर पर कार्रवाई की सम्भावना भी जताई जा रही है। इलाके के युवा भी ऐसी भृष्ट सोच रखने वाले नेताओं को चुनाव में सबक सिखाने का मन बना चुके हैं।