मुख्यमंत्री हरीश रावत के मुख्य प्रवक्ता सुरेन्द्र कुमार ने शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली को उनका पुराना वादा याद दिलाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को राज्य की विभिन्न योजनाओं का बकाया धन प्राप्त न होने पर राज्य की जनता को इस सम्बन्ध में बताया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत के कई बार के आग्रह के बावजूद भी अब तक भी राज्य के साथ न्याय क्यों नहीं हो पाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्रों की छायाप्रति भी अपनी वार्ता में मीडिया को जारी की है, जिसमें आपदा के मद में विभिन्न बकाया धनराशि का विवरण भी दिया गया है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कैबिनेट कमेटी ने यूपीए के शासन में लगभग 8 हजार करोड़ रुपया राज्य के लिए स्वीकृत किया गया था, जिनमें विभिन्न मदों में अभी भी लगभग 5 हजार करोड़ रुपया बकाया चला आ रहा है। श्री कुमार ने यह भी कहा कि पेयजल के लिए लगभग 17959 करोड़ की पेयजल योजनाओं पर भी अभी तक केन्द्र ने कोई कदम नहीं उठाया है| नमामि गंगा की भेजी गई लगभग 707 करोड़ की परियोजनाओं पर भी अभी तक भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है| 352 आपदा प्रभावित गांवों के पुनर्वास व विस्थापन के लिए लगभग 13 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं भेजी गई थीं परन्तु उन पर भी अभी तक कुछ नहीं हो पाया है।
केदारनाथ त्रासदी के बाद एसडीआरएफ की बटालियन व उसको मजबूत बनाने के लिए 170 करोड़ रुपये की मांग भी बिना सुनवाई के पड़ी है| समाज कल्याण, शिक्षा, अनु जनजाति, अनु जाति व ओबीसी छात्रों की छात्रवृत्ति का करोड़ों रुपया बकाया चला आ रहा है| देश को लगभग 40 चालीस हजार करोड़ की ईको सर्विस की एवज में ग्रीन बोनस की मांग पर भी अभी कोई समुचित कार्यवाही नहीं हो पाई है। हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट्स सहित राज्य के साथ ईको सेंसिटिब्स जोन व वाइल्डलाइफ से जुड़ी कई योजनाओं पर लगाए गए बन्धनों से मुक्ति के साथ-साथ कोई विकल्प देने में केन्द्र सरकार क्यों असमर्थ है| लगभग 19 रेल परियोजनाओं पर कोई सकरात्मक पहल केन्द्र सरकार ने नहीं की है।
उन्होंने यह याद दिलाया कि राज्य गठन के समय पांच हजार करोड़ रुपयों का कर्ज व 11वें वित्त आयोग से मिलने वाले पांच हजार करोड़ रुपये से भी केंद्र सरकार ने हमें वंचित किया है।