देश में आपातकाल जैसे हालातः हरीश रावत

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बन रहे हैं। राज्य में किसान बदहाल हैं और आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। किसान आत्महत्या के लगातार बढ़ रहे मामले चिंताजनक हैं। सरकार इस मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाए और किसानों से जबरन व दबाव में कराई जा रही वसूली को रुकवाया जाए।

हल्द्वानी में रावत ने कहा कि किसानों की समस्याओं को देखते हुए दीर्घकालिक नीति बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कृषि और उद्यान विभाग के एकीकरण का भी पुरजोर विरोध किया। कहा कि हमारे कार्यकाल में बेटियों के लिए शुरू कराई गई कन्याधन योजना का नाम बदलकर वर्तमान सरकार ने बेटियों का हक अधिकतम 32 हजार रुपये तक सीमित कर दिया है। साथ ही एपीएल का कोटा कम और सस्ते राशन की कीमत दोगुनी कर दी गई है। जन विरोधी सरकार ने विभिन्न विभागों में जिन 20 हजार पदों को फ्रीज किया है, उनके लिए सरकार से मैं खुद लड़ाई लडूंगा। हमारी कैबिनेट ने तो 15 हजार पदों पर भर्ती कराकर इन शेष सभी पदों को भरने की भी तैयारी कर ली थी।

देश की राजनीति पर तंज कसते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि कुछ महीनों से देश में संसदीय लोकतंत्र पर आपातकाल जैसे हालात दिखने लगे हैं। विपक्ष मुक्त भारत बनाने के लिए भाजपा मात्र विधायक ही नही अब पार्टी भी खरीद रही है। बिहार इसका उदाहरण है। जहां पार्टी ही खरीद ली गई। गुजरात में विधायकों की खरीद हुई।