देहरादून। प्रदेश में इन दिनों गो-सदन खोलने वालों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। इसका अंदाजा पशु निदेशालय में हर माह आ रहे आवेदनों की संख्या से लगाया जा सकता है। आवेदनों की संख्या में हुई बढो़तरी को देखते हुए अब विभागीय अधिकारी भी गो-सदनों की मान्यता देने से पहले संस्थाओं की अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर रहे हैं।
प्रदेश में निजी एवं धर्मार्थ संस्थाएं अवारा एवं निराश्रित गोवंशों के लिए आश्रय के रूप में गो-सदनों की स्थापना करते हैं। इसके लिए संस्थाओं को पशु कल्याण बोर्ड से मान्यता लेेनी होती है। पंजीयन होने पर संस्था को प्रदेश सरकार से आर्थिक सहायता राशि भी प्रदान की जाती है। वर्तमान में प्रदेश में 22 पंजीकृत गो-सदन हैं। इनमें अधिकांश गो-सदन देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर जैसे मैदानी क्षेत्रों में हैं। विभागीय अधिकारियों की मानें तो पिछले दो-तीन वर्षों में गो-सदनों के लिए आवेदनों की संख्या में तेजी देखने को मिली है। विभाग का कहना है कि हर महीने गो-सदनों के लिए 12 से 20 तक आवेदन आ रहे हैं। आज कईं गो-सदनों में यह शिकायत भी आती हैं कि गो-सदनों में निराश्रित पशुओं को नहीं रखा जाता है, बल्कि लाभकारी पशुओं को ही तवज्जो दिया जाता है। उन्होंने कहा कि विभाग जल्दबाजी में किसी भी संस्था को मान्यता नहीं देना चाहता। कड़ी जांच-पड़ताल के बाद ही मान्यता दी जाएगी।
निर्धारित शर्तें:
गो-सदन में कम से कम 50 अलाभकारी गोवंश अनिवार्य। गो-सदन में रखे जाने वाले गोवंशों के लिए खाने-पीने की पर्याप्त व्यवस्था। भूमि स्वामित्व का अभिलेख। पट्टे की जमीन है तो निर्विवाद हो। स्थानीय निकाय से एनओसी।