रणबीर एनकाउंटर में 11 लोग बरी,हाईकोर्ट ने 7 को माना दोषी

0
913

नई दिल्ली,  दिल्ली हाईकोर्ट ने देहरादून में एक एमबीए छात्र की हत्या के मामले में उत्तराखंड के सात पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने के ट्रायल कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले में 11 पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने सौरभ नौटियाल, विकास बलूनी, सतबीर सिंह, चंद्रपाल, सुनील सैनी, नागेन्द्र राठी, संजय रावत, दारोगा इंद्रभान सिंह, मोहन सिंह राणा, जसपाल गुंसाई और मनोज कुमार को बरी कर दिया है। वहीं डालनवाला कोतवाली के तत्कालीन इंसपेक्टर डालनवाला एस के जायसवाल, आरा चौकी इंचार्ज जीडी भट्ट, कांस्टेबिल अजित सिंह, एसओजी प्रभारी नितिन चौहान, एसओ राजेश विष्ट, उप निरीक्षक नीरज यादव और चंद्रमोहन की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है।

इन सभी 18 पुलिसकर्मियों ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामला 3 जुलाई 2009 का है । गाजियाबाद के एमबीए के छात्र रणबीर सिंह को उत्तराखंड पुलिस के जवानों ने मार डाला था। रणबीर के शरीर पर 29 गोलियों के निशान मिले थे। पुलिस के मुताबिक उसे ये संदेह हुआ था कि रणबीर वसूली गिरोह का सदस्य था।

2014 में तीस हजारी कोर्ट ने 18 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण, सुबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने और गलत सरकारी रिकार्ड तैयार करने के मामले में दोषी करार दिया था।

जुलाई, 2009 में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के लिए गए रणबीर सिंह को पुलिस ने बदमाश बताकर इसलिए मार डाला था,क्योंकि उसकी पुलिस कर्मियों से कहासुनी हो गई थी। पुलिस ने न केवल वाहवाही बटोरी बल्कि तत्कालीन राज्य सरकार ने फर्जी एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित भी किया था।

परिवार की मांग पर सीबीआई जांच हुई। जांच में खुलासा हुआ कि उत्तराखंड पुलिस ने खुन्नस निकालने के लिए रणबीर सिंह का फर्जी एनकाउंटर किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर हुआ था।

वहीं इस केस पर फैसला आने पर उत्तराखंड डीजीपी अनिल रतूड़ी का कहना है कि ”इस घटना के संबंध में न्यायालय में केस चल रहा था जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की रिहाई हुई है तो कुछ की सज़ा बरकरार है।यह सूचना अभी मिली है।आदेश की सर्टिफाईड कॉपी को मंगवाऐंगे और अध्ययन करेंगे।हम पुलिसवाले हैं और कानून के अधीन ही काम करते हैं,कानून ने ही हमें शक्तियां दी है और हम कानून का पालन करेंगे।उत्तराखंड पुलिस का मुखिया होने के तौर पर मैं यह कह सकता हूं कि न्यायालय का जो भी फैसला है हम उसका सम्मान करते हैं और जो भी आदेश मिलेगा उसका विधि तौर पर जो भी ठीक होगा वह करेगें।”