राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज जस्टिस दीपक मिश्रा को देश के 45वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समाहरोह राष्ट्रपति भवन के ऐतिहासिक दरबार हॉल में संपन्न हुआ। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा का कार्यकाल अगले साल तीन अक्टूबर 2018 को समाप्त होगा। दीपक मिश्रा मुख्य न्यायाधीश के पद पर करीब 13 महीने रहेंगे। इस पद पर पहुंचने वाले वे उड़ीसा के तीसरे मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं उनसे पहले न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
- अक्टूबर – तीन (1953 ) में जन्मे दीपक मिश्रा ने फरवरी 1977 में उड़ीसा हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की।
- फरवरी 1996 में उड़ीसा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने।मार्च 1997 में उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया।
- दिसंबर 1997 में ही उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी।
- दिसंबर 2009 में उन्हें पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया।
- मई 2010 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये।
- न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश जारी किए थे।
ऐतिहासिक फैसलेः
- आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट जब रात में बैठी थी तो जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में ही बेंच ने मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकुब मेनन की अर्जी को पूरी रात सुनवाई के बाद खारिज किया था।
- 5 मई 2017 को बहुचर्चित निर्भया गैंग रेप केस में तीनों दोषियों की फांसी की सजा को जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने बरकरार रखा था।
- जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में स्पेशल बेंच बनी है जो अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहीं हैं ।
इसके अलावा सहारा सेबी मामले में भी जस्टिस मिश्रा की बेंच सुन रही है।