उत्तराखंड: 16 साल में काटे गए 51 लाख से अधिक पेड़

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    deforestation becomes a menace

    16 वर्षों में प्रदेश में 17 हजार हेक्टेयर में पौधों को काटा जा चुका है, इस हिसाब से यह आंकड़े करोड़ों में हो सकते हैं। अब इसी कटान को रोकने के लिए वन विभाग समेत सामाजिक संगठन उतर पड़े हैं ताकि यहां के पर्यावरण को पुन: पहले जैसे किया जाए। वैश्विक गर्मी को रोकने के लिए वृक्षारोपण से बड़ा कोई आधार नहीं है। वन विभाग ने 9.9 सौ एकड़ में वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा है,जो कम से कम एक करोड़ एक लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य है। इस मामले में प्रदेश का हर विभाग अपने-अपने स्तर पर भी प्रयास कर रहा है।

    एक आंकलन के अनुसार करोड़ों पेड़ प्रतिवर्ष कटते हैं और करोड़ों लगाए जाते हैं, लेकिन लगने वाले पेड़ शत प्रतिशत नहीं लग पाते। जिसके कारण कटने वाले पेड़ों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जाती है, उससे अधिक पेड़ लगाए जाते हैं, लेकिन उन पेड़ों के पूरी तरह संरक्षित नहीं होने के कारण असमय ही समाप्त हो जाते हैं, जिसके कारण कटने वाले पेड़ों की संख्या अधिक होती है पर इस बार विभिन्न विभागों और सामाजिक संगठनों ने जो निर्णय लिया है वह राज्य के लिए सुखकर है।

    आंकलन के अनुसार उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 17 हजार हेक्टेयर में वृक्षों का कटान हुआ है। एक हेक्टेयर में अनुमानत: दो सौ से तीन सौ पेड़ माने जाते हैं। इस लिहाज से लगभग 51 लाख पेड़ अब तक काटे जा चुके हैं, लेकिन यह आंकड़े केवल वन विभाग द्वारा दिए गए आंकड़े के हैं यदि शहरी क्षेत्र का आंकड़ा जोड़ दिया जाए तो यह संख्या करोड़ों में पहुंचती है। यह बात अलग है कि वन विभाग प्रतिवर्ष करोड़ों की संख्या में पेड़ लगाता है। अकेले गढ़वाल जोन में 46.12 लाख पौधे लगने हैं, जबकि वृहद वृक्षारोपण अभियान के तहत 19 लाख 21 हजार पौधे लगाए जाएंगे।

    सीसीएफ मुख्य वन संरक्षक आरके मिश्र का कहना है कि, ‘विभाग धरती को हरा भरा करने के लिए विशेष रूप से प्रयासतरत है और चाहता है कि प्रदेश को हरियाली का गहना पहनाया जाए। इसके लिए हर विभाग को सचेत किया गया है, गढ़वाल जोन जिसमें चमोली, पौड़ी, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी शामिल है, जिनमें 4 हजार 4 सौ 70 हेक्टेयर में वृक्षारोपण चलाया जाएगा। अभी हाल ही में हर विभाग को पौधा लगाने का लक्ष्य दिया गया है।’ समाज कल्याण से जुड़े आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने  एक ही दिन में 2 करोड़ 16 लाख 150 पौधों का रोपण किया। यह अभियान अपने आप में एक उदाहरण हो सकता है।’