क्या कूड़ा उठाने वालों के दाम बढ़ने से होगी दून में सफाई!!

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दिसंबर से देहरादून में शिशमबर कचरा प्रबंधन कार्य शुरु हो जाने के बाद, नगर निगम एक निजी फर्म को डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने को काम सौंपने की योजना बना रहा है। जिसके बाद उपभोक्ता शुल्क प्रत्येक दो वर्षों में 10% बढ़ जाएगा। फिलहाल निगम उन उपभोक्ताओं से जो इस सेवा का लाभ उठाते हैं उनसे 40 रुपये जमा करवाता है।

देहरादून नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ कैलाश गंज्याल ने कहा कि, “गजट अधिसूचना जो कि 2009 में की गई थी, उसके मुताबिक उपयोगकर्ता के शुल्क को 10% तक बढ़ाया जाएगा, लेकिन हमने अभी तक ऐसा नहीं किया है। एक बार जब सेवा का निजीकरण दिसंबर में होगा, फर्म इस नियम का पालन करेगी और उपयोगकर्ता को हर दो साल में 10 प्रतिशत शुल्क बढ़ा कर निगम में देना होगा।”

निगम के इस पहल का निवासियों ने स्वागत किया है जो दावा करते हैं कि उपयोगकर्ता शुल्क में वृद्धि से बेहतर सेवाएं सुनिश्चित हो सकती हैं। दून निवासियों के कल्याण मोर्चा के अध्यक्ष डॉ महेश भंडारी ने कहा, “हम जो भुगतान करते हैं वह एक छोटा अमाउंट है जो मेरे हिसाब से स्वच्छता श्रमिकों के वेतन को भी कवर नहीं करता है। निजीकरण इन समस्याओं को दूर करेगा और कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि सफाई का काम समय पर किया जाए है क्योंकि वे सेवा के माध्यम से लाभ कमा सकते हैं। “

नगर निगम के आयुक्त रवनीत चीमा ने कहा कि, “हम इस काम की निगरानी कर रहे हैं और आशावादी हैं कि हम 1 नवंबर से इसका परीक्षण शुरू करेंग। हालांकि इसके एक महीने बाद यह पूरी तरह से कार्य करना शुरु कर देगा।”

mad group

वहीं शहर में सफाई और दूसरे मुद्दों पर काम करने वाला एनजीओ ”मैड मेकिंग ए डिफ्रेंस बाई बिंग द डिफ्रेंस” के सदस्य करन कपूर ने कहा कि, ”नगर निगम ने पहले भी ऐसे प्रयास किए हैं, इससे पहले भी नगर निगम ने डीबीडब्लूएम को कूड़ा उठाने और उसके डंप करने का काम दिया गया था लेकिन वह बहुत ज्यादा फायदेमेंद साबित नहीं हुआ।एक बार फिर नगर निगम किसी प्राईवेट कंपनी को यह काम दे रहा है जिसकी पीछे वजह हैं कि सेवाएं बेहतर होंगी और पैसे बढ़ाने से लोग ज्यादा तत्परता दिखाऐंगे तो यह सोचना गलत है।

“करन ने कहा कि, ”अभी दिक्कत यह नहीं है कि सफाई कर्मचारियों का वेतन कम है या नगर निगम को पैसो की जरुरत है। समस्या यह है कि सबसे पहले निगम को अपना दायरा बढ़ना होगा, उन लोगों पर जुर्माना लगाना होगा जो निगम की सेवाएं ना लेकर अपने घर का कचड़ा खुले मैदानों में डंप करते हैं।”

मैड ग्रुप ने पहलेे भी निगम को सुझाव दिया था कि नगर निगम को बिजली विभाग के साथ टाईअप करना चाहिए जिससे बिजली बिल के साथ कूड़े का बिल लोगों के घर तक पहुंचे और हर कोई बिजली के साथ निगम की सेवाएं ले सके”।

नगर निगम की यह नई पहल कहां तक सफल होती है यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन फिलहाल निगम ने अपनी नई सुविधाओं के लिए कमर कस ली है।