स्वास्थ के संबंध में उत्तराखंड इस समय दोगुनी मुसीबत झेल रहा है। एक तरफ डेंगू मुंह बाए खड़ा है तो दूसरी तरफ स्वाइन फ्लू लोगों की जिंदगी लील रहा है। गुरुवार को स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले एक और मरीज की मौत हो गई। उसका सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट अभी नही आई है। वहीं, दो मरीजों में डेंगू की भी पुष्टि हुई है।स्वाइन फ्लू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। हर रोज न सिर्फ मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है बल्कि इसकी वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। दून और हरिद्वार में इसका असर ज्यादा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जनपद में अब तक स्वाइन फ्लू से छह लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा मरने वाले तीन मरीज ऐसे हैं, जिनमें स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए गए थे। यदि इनमें भी स्वाइन फ्लू की पुष्टि होती है तो इस बीमारी से मरने वालों की संख्या नौ हो जाएगी। मृतकों में अधिकांश हरिद्वार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए मरीज हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. तारा चंद पंत ने बताया कि गुरुवार देर रात स्वाइन फ्लू के संदिग्ध मरीज की मौत हुई है। बैरागीवाला निवासी इस 29 वर्षीय युवक का हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में उपचार चल रहा था। मृतक का ब्लड सैंपल जांच के लिए दिल्ली भेजा गया है।
दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि : स्वाइन फ्लू व डेंगू का डबल अटैक स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बन गया है। जिले में डेंगू से पीड़ित मरीजों का आंकड़ा चार हो गया है। दून के लिए राहत की बात यह है कि सभी मरीज बाहर के हैं। एक मरीज बिजनौर और बाकी के तीन हरिद्वार के हैं। मानसून के साथ ही डेंगू ने भी असर दिखाना शुरू कर दिया है। जगह-जगह हुआ जलभराव मच्छरों के लिए मुफीद साबित हो रहा है। गुरुवार को दो और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। इनमें एक की उम्र 18 वर्ष, जबकि दूसरे की 24 वर्ष है। दोनों ही हरिद्वार के रहने वाले हैं और इनका उपचार दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में चल रहा है।दून अस्पताल ने बनाए स्पेशल वार्ड1दून अस्पताल में 10 बेड का स्वाइन फ्लू वार्ड और 10 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है। जिसका नोडल अधिकारी वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉ. रामेश्वर पांडे को और इंचार्ज सिस्टर लक्ष्मी पुनेठा को बनाया गया है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार जरूरत पड़ने पर बेड की संख्या बढ़ा दी जाएगी।