खेल सम्मान देने पर उठीं चर्चाएं

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    देहरादून।  औरों को बांटे अपने को डांटे यह कहावत खेल मंत्रालय पर पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। पुराने खेलमंत्री दिनेश अग्रवाल ने खेल में भी खेल कर दिया था,लेकिन वर्तमान अरविंद पाण्डेय से लोगों को खेल पुरस्कार में ईमानदारी की उम्मीदें लगी हैं।
    पिछली बार जिन लोगों को खेल पुरस्कार दिया गया था। वे उत्तराखंड के जरूर थे,लेकिन प्रदेश से बाहर से लोगों को प्रशिक्षित कर रहे थे,लेकिन उत्तराखंड के लोगों की भरपूर उपेक्षा की गई थी। इन्हीं उपेक्षित नामों में एक नाम है कुश्ती प्रशिक्षिक पवन कुमार शर्मा। पवन शर्मा सालों से मातावाला बाग के अखाड़े से राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय कई प्रतिभाओं को निकाल चुके हैं। इनमें अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ी सत्यव्रत कादियान तथा शिल्पा सरोण का नाम प्रमुख है। सत्यव्रत कादियान जहां एशिया कुश्ती के पुरोधा माने जाते हैं और 2012 तथा 2016 में रियो ओलिंपिक में भाग लेकर देश का नाम रोशन किया। वहीं शिल्पा सरोण सीनियर नेशनल 2016 की रजत विजेता तथा एशियन चैंपियन गुवाहटी की स्वर्ण पदक विजेता हैं। कुश्ती कोच पवन शर्मा ने लगभग एक दर्जन राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय खिलाडिय़ों को निकाला है,लेकिन पुरानी सरकार के खेल पुरस्कार में खेल का शिकार हो गए। इस बार पवन शर्मा का नाम प्रबल दावेदारों में माना जा रहा है। देवभूमि खेलरत्न पुरस्कार के लिए जहां मनीष रावत और एकता विष्ट मुख्य दावेदारों में हैं तथा पुरस्कार के लिए आवेदन करने वालों में प्रमुख रूप से शामिल हैं। उत्तराखंड देवभूमि खेलरत्न द्रोणाचार्य और लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार के लिए लगभग सूची तैयार है। खेल निदेशालय द्वारा खेल रत्न पुरस्कार के लिए उत्तराखंड पुलिस के निरीक्षक ओलंपियन मनीष रावत,क्रिकेटर एकता बिष्ट का नाम लगभग तय कर लिया है। मनीष ने रियो ओलंपिक में 13 वां स्थान प्राप्त किया,जबकि एकता बिष्ट महिला विश्वक प टीम की सदस्या रही हैं। सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड द्रोणाचार्य पुरस्कार के मुख्य दावेदार पवन कुमार शर्मा के साथ-साथ अनूप बिष्ट,एकता बिष्ट के कोच लियाकत अली तथा पवन शर्मा का नाम शामिल हैं,लेकिन लियाकत अली उत्तराखंड के मूल निवासी हैं भी इस पर अलग-अलग चर्चाएं हैं। वैसे भी वे एकता बिष्ट को केवल टिप्स देने वाले रहे हैं। उन्होंने प्रशिक्षित करने का काम नहीं किया है। उत्तराखंड खेल नीति के अनुसार खेलरत्न पुरस्कार के लिए आवेदनकर्ता का फार्म तभी मान्य होगा,जब मान्यता प्राप्त खेल संघ उसकी पुष्टि करेगा। साथ ही नीति में यह लिखा है कि खिलाड़ी पुरस्कार पाने की दौड़ में तभी शामिल होगा जब उसने पिछले आवेदन के पिछले तीन सालों में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया हो,लेकिन उत्तराखंड में किसी क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता नहीं है ऐसे में एकता का फार्म किसी भी संघ से सत्यापित नहीं है। उत्तराखंड की महिला टीम न होने से उन्होंने राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं किया है।