पहलाज निहलानी के सेंसर बोर्ड के चेयरमैन से हटाए जाने का असर नजर आने लगा है। पहलाज निहलानी के दौर में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर बनी जिस डाक्युमेंट्री को सेंसर बोर्ड ने लटका कर रखा था, उसे हरी झंडी मिल गई। निर्माता द्वय विनय शुक्ला और खुश्बू रांका ने मिलकर दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद ‘एन इसफिग्निसेंट मैन’ नाम से अरविंद केजरीवाल पर डाक्युमेंट्री बनाई, जिसे इस साल फरवरी में सेंसर के लिए आवेदित किया गया ।
लेकिन सेंसर बोर्ड ने ये कहकर इस डाक्युमेंट्री को पास करने से मना कर दिया कि इसमें दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता शीला दीक्षित तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख है, इसलिए डाक्युमेंट्री पास कराने के लिए नरेंद्र मोदी और शीला दीक्षित से नो आब्जेक्शन सार्टिफिकेट (एनओसी) सेंसर बोर्ड में जमा कराने होंगे। इस वजह से फिल्म काफी समय से लटकी रही। सेंसर बोर्ड के इस फैसले को चुनौती देते हुए जब एपीलेट ट्रिब्यूनल में फिल्म को भेजा गया, तो वहां बिना किसी बदलाव के इसे पास करने का फैसला हुआ।
एपीलेट ट्रिब्यूनल से बिना किसी कांट छांट के फिल्म को यूए सार्टिफिकेट के साथ सार्टिफिकेट जारी करने का आदेश सेंसर बोर्ड को दिया गया। एपीलेट ट्रिब्यूनल ने एनओसी वाले कानून को लेकर खास तौर पर अपने आदेश में लिखा कि इस कानून के चलते भारत में डाक्युमेट्री बनाना असंभव हो जाएगा। इस आदेश के बाद किसी फिल्म में भी किसी व्यक्ति का उल्लेख होने पर उससे एनओसी लाकर जमा करना जरुरी नहीं रहेगा। पहलाज निहलानी ने इसी कानून के आधार पर रामगोपाल वर्मा की फिल्म सरकार 3 का ट्रेलर पास करने से मना कर दिया था और वर्मा को आदेश दिया था कि इस फिल्म की कहानी ठाकरे परिवार से मिलती है, इसलिए परिवार से एनओसी लाना होगा। एपीलेट ट्रिब्यूनल से ही इस फैसले को बदला गया था।