‘बीमार’ हुआ दून अस्पताल, ऑपरेशन के दौरान बत्ती गुल

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    दून महिला अस्पताल में गुरुवार को अजीब स्थिति पैदा हो गई। गर्भवती ऑपरेशन टेबल पर थी और बत्ती गुल हो गई। डॉक्टरों ने अनुभव से किसी तरह ऑपरेशन अंजाम दिया। लाइन में फॉल्ट आने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। दिनभर जेनरेटर से काम चलाया गया, पर रात होते-होते यह भी दगा दे गया। जिससे कई वार्डों में अंधेरा पसर गया।

    अस्पताल में ओटी की लाइट बंद होने से शनिवार सुबह कई घंटे ऑपरेशन ठप रहे। अल सुबह इमरजेंसी में लाई गई कुछ गर्भवती महिलाओं का रिस्क लेकर ऑपरेशन किया गया। बाद में दोपहर बाद वैकल्पिक व्यवस्था की गई। इस बीच तिमारदारों के हाथपांव फूले रहे। शाम के वक्त जेनरेटर भी बंद पड़ गया और सर्जिकल समेत कई अन्य वार्ड में अंधेरा पसर गया। बताया गया कि यह दिक्कत कई दिन से थी, पर बार-बार मामला अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इसे लेकर डॉक्टरों में भी गुस्सा है। उनका कहना है कि यह बुनियादी व्यवस्था है। जिस पर उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। इधर, महिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी जोशी ने इसकी जानकारी दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को दी। जिसके बाद उन्होंने वैकल्पिक व्यवस्था कराई। यह तय हुआ कि अगर दोबारा ऐसी घटना हुई तो ऑपरेशन रोकने के बजाए दून अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर उपयोग में लाया जाएगा। डॉ. मीनाक्षी जोशी ने का कहना है कि इस आपात स्थिति में डॉक्टरों का अनुभव काम आया। अन्यथा बड़ी समस्या खड़ी हो जाती। आगे से ऐसा न हो, इसके लिए उच्चाधिकारियों को सूचना दी गई है।
    आहरण अधिकार न मिलने से दिक्कत
    दून व दून महिला अस्पताल के मेडिकल कॉलेज बनने के बाद अस्पताल में व्यवस्थाएं बेपटरी हो चुकी हैं। कभी बजट की कमी और कभी स्वीकृति के इंतजार में अस्पताल के छोटे-छोटे काम भी अटक जाते हैं। जिसका एक कारण है कि चिकित्सा अधीक्षकों के पास आहरण अधिकार नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और हाल में मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. नवीन बलूनी ने इन्हें आहरण अधिकार दिए जाने की बात कही जरूर पर इस पर कार्रवाई नहीं हुई है।
    एमएसबीवाई के मरीजों के भी नहीं हुए ऑपरेशन
    अस्पताल में गुरुवार को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (एमएसबीवाई) के मरीजों को खासी फजीहत झेलनी पड़ी। न उनके ऑपरेशन हुए और न टेस्ट। मरीज दिनभर एमएसबीवाई काउंटर पर भटकते रहे। हुआ यह कि एमएसबीवाई काउंटर पर इंटरनेट ठप हो गया। कर्मचारियों ने डोंगल से व्यवस्था सुचारू करनी चाही पर इसने भी काम नहीं किया। जबकि इस सुविधा के तहत मरीज की जानकारी व दस्तावेज साइट पर अपलोड करने पड़ते हैं।