देहरादून। दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल को अव्यवस्थाओं का मर्ज लग गया है। यहां तक की मरीजों की जांच पर भी इसकी आंच आ रही है। वर्तमान समय में अस्पताल की पैथोलॉजी लैब जुगाड़ पर चल रही है। कई जांच की किट खत्म है, तो फुली ऑटोमेटिक एनालाइजर के लिए डिस्टलरी वाटर तक का इंतजाम बमुश्किल हो रहा है।
दून व दून महिला अस्पताल को करीब दो वर्ष पूर्व दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था। तब लगा कि स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा होगा। लेकिन हुआ उलट। बजट की कमी और प्रशासनिक स्तर से हो रही अनदेखी के कारण अस्पताल की पैथोलॉजी तक में व्यवस्थाएं चरमराने लगी हैं। समय पर खरीद न होने के कारण जब तक आवश्यक रीजेंट व किट खत्म हो जाती हैं। अब अस्पताल की बदहाली का एक और नया मामला सामने आया है।
दरअसल, अस्पताल के बायो कैमिस्ट्री विभाग में विभिन्न तरह की जांच के लिए फुली ऑटोमेटिक एनालाइजर मशीन लगाई गई हैं। इससे लिवर, किडनी, हार्ट व शुगर से जुड़ी कई तरह की जांच होती हैं। मशीन संचालित करने के लिए डिस्टिल्ड वाटर की जरूरत पड़ती है। जिसकी खरीद की प्रक्रिया अटकी पड़ी है। गुरुवार को डिस्टिल्ड वाटर खत्म हो गया और जांच अटक गई। आनन फानन में प्रभारी ने व्यक्तिगत स्तर पर डिस्टिल्ड वाटर का जुगाड़ किया। लेकिन यह स्टॉक भी सीमित है, जो बस अगले दो दिन ही चल पाएगा। यानी मशीन कब काम करना बंद कर दे यह कहा नहीं जा सकता।
हेपेटाइटिस-बी की जांच बंद
दून मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में हेपेटाइटिस-बी जांच किट भी खत्म है। जिससे मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। जबकि डॉक्टर काफी मरीजों को यह जांच लिखते हैं। इसके अलावा गर्भवती की भी हेपेटाइटिस-बी जांच कराई जाती है। किट पिछले दस दिन से खत्म है और अधिकारी मुंह मोड़ बैठे हैं।
वीडीआरएल टेस्ट किट भी खत्म
अस्पताल में सिफलिस की जांच के लिए वेनरिएल डिजीज रिसर्च लैबोरेटरी (वीडीआरएल) टेस्ट की किट खत्म हो चुकी है। इस कारण गर्भवतियों का एंटीनेटल चेकअप (एएनसी) पूरा नहीं हो पा रहा और उनका इलाज इस जांच के बिना किया जा रहा है। इससे नवजातों पर भी सिफलिस होने का खतरा मंडरा रहा है।