दून काठगोदाम एक्सप्रेस के परिचालन से उलझन में यात्री

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देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद जिस गति से रेलवे का विस्तर होना चाहिए, वह आज भी सुदुर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए चुनौती बना हुआ है। प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मण्डलों मेें राजधानी दून से ट्रेन की यात्रा वर्तमान में सुलभ नहीं है। हालांकि कुमाऊं मण्डल के मुख्यद्वार काठगोदाम तक दून काठगोदाम चलती है, लेकिन ट्रेन की लेटलतीफी के कारण यात्रियों को फजीहत झेलनी पड़ती है। इससे यात्रियों को आज भी देहरादून की यात्रा कठिन बनी हुई है।
इलाहाबाद से चलने वाली लिंक एक्सप्रेस को लगभग दस घंटें बाद देहरादून से काठगोदाम रवाना करना यात्रियों के लिए आज भी अव्यवहारिक है। इससे लगता है कि यात्रियों की नहीं बल्कि रेलवे अपनी सुविधानुसार इस ट्रेन को चला रहा है। इन परिस्थितियों में शायद ही कोई यात्री इलाहाबाद से देहरादून होते हुए काठगोदाम जाना चाहता है। उसका पैसा और समय दोनों का व्यय उसके उपर भारी पड़ता है। इससे यात्री स्वयं को ठगा महसूस करता है।
यात्री डा. गणेश ने बताया कि काठगोदाम गाड़ी विलंब से चलने कारण आज भी हमलोगों के लिए देहरादून से दिल्ली की पहुंच नजदीक है। अल्मोड़ा से दिल्ली की दूरी 350 किलोमीटर है, जबकि अल्मोड़ा से देहरादून की दूरी 365 किलोमीटर है। ऐस में सुदुर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए यात्रा को सुलभ बनाने के लिए रेलवे को खास प्रयास करना होगा, तभी क्षेत्र के लोग आसानी से देहरादून की यात्रा कर सकते हैं।
ईट्रेन इनफो के आंकड़ों की मानें तो काठगोदाम 20 नवम्बर से 20 दिसम्बर के बीच 14 दिन लेट रवाना हुई। इस माह में औसतन 250 मिनट यानी 4:40 मिनट की देरी से रवाना हुई है। इसमे से 08 दिन एक घंटे की देरी से और 6 दिन एक घंटे की कम समय में दून से प्रस्थान की है। जबकि 16 दिन ही अपने तय समय से रवाना हुई है। वहीं 2016 नवम्बर से 20 दिसम्बर 2017 तक 365 दिन में 244 दिन राइट समय से चली है, जबकि 121 दिन विलंब से रवाना हुई। यानी 35 दिन एक घंटे से कम समय की देरी से चली है। जबकि 86 दिन एक घंटे से अधिक की देरी से रवाना हुई है। इस वर्ष फरवरी माह में भी जब कोहरे नहीं पड़ते है, उस समय भी औसतन लेट ही चली है।
काठगोदाम से देहरादून 365 दिन में 342 दिन सही समय पर आई है। जबकि 6 दिन एक घंटे से कम और 17 दिन एक घंटे की देरी से दून पहुंची है। वहीं देहरादून देश के सभी प्रमुख स्टेशनों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी समेत सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए शताब्दी, मसूरी एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस जैसी तीव्र गति की रेलगाड़ियां उपलब्ध हैं। लेकिन पहाड़ों से देहरादून की कनेक्टिविटी को लेकर आज भी लोगों के लिए समस्याएं बनी हुई हैं।
रेलवे यात्री सुविधा समिति के सदस्य लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इलाहाबाद से देहरादून और फिर वही दून काठगोदाम बनकर घंटों देर से रवाना करना कोई औचित्य नहीं है। इतनी देर तक इस ट्रेन के ठहराव में इसे रेक के रूप में उपयोग करना चाहिए। इस संबंध में रेलवे की बैठक में बातें रखी जाएंगी, ताकि पर्वतीय क्षेत्र के यात्रियों को रेल यात्रा में किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
देहरादून स्टेशन अधीक्षक करतार सिंह के मुताबिक, लिंक एक्सप्रेस जब काफी विलंब से आती है तो इसे देर से रवाना किया जाता है। जब वह समय से आती है तो उसे यहां से निर्धारित समय से रवाना किया जाता है। अन्य बाकी गाड़ियां जो यहां से चलती हैं उसमें से अधिकतर को समय पर रवाना किया जाता है। उज्जैयनी एक्सप्रेस अप-डाउन 5 दिसम्बर से 14 फरवरी के बीच दून तक नहीं चलेगी। इस ट्रेन को रेलवे ने हरिद्वार तक चलाने का फैसला लिया है। सप्ताह में यह दो दिन मंगलवार और बुधवार को देहरादून से जाती है, जबकि बृहस्पतिवार और शुक्रवार को दून आती है।
उन्होंने बताया कि राजधानी देहरादून मौजूदा समय 23 ट्रेनें आती हैं। 17 ट्रेनें हर रोज चलने वाली हैं। स्टेशन की क्षमता बढ़ने और नया प्लेटफार्म तैयार होने के बाद यहां ट्रेनों की संख्या बढ़ने की भी संभावना है। इससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी। यह काम अगले साल यानी 2018 में पूरा होने की उम्मीद है।