समाज कल्याण विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में खड़ा होता दिख रहा है। अपर सचिव के निर्देश पर बैठी जांच में 236 लोगों को फर्जी तरीके से दो-दो पेंशन भेजने का खुलासा हुआ है। अपर सचिव ने संदिग्ध पाए गए 1927 लोगों की फिर दोबारा से जांच करने के निर्देश दिए हैं। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से अन्य भी कई लोगों को विभाग दो-दो पेंशन जारी कर रहा था।
अपर सचिव समाज कल्याण ने एक माह पूर्व विभाग के पोर्टल पर 1927 लोग ऐसे देखे थे, जिनके नाम दो-दो बार दर्ज थे और उन्हें विभाग की ओर से दो-दो पेंशन दी जा रही थी। अपर सचिव ने इस संबंध में निदेशक समाज कल्याण, जिला समाज कल्याण अधिकारी व आईटी सेल के प्रभारी को मामले की जांच कर वस्तुस्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए थे।
अब जिला समाज कल्याण अधिकारी ने जांच रिपोर्ट अपर सचिव/आयुक्त निशक्तजन को अपनी रिपोर्ट दी है, जिसमें स्वीकार किया गया है कि इनमें से 236 लोगों को दो-दो पेंशन भेजी जा रही है। आयुक्त निशक्तजन के अनुसार विभाग ने 236 लोगों की डुप्लीकेसी होने की बात तो स्वीकारी है लेकिन बचे हुए पेंशनर्स डुप्लीकेट हैं या नहीं इस पर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। साथ ही आयुक्त को यह ब्यौरा भी उपलब्ध नहीं कराया गया है कि डुप्लीकेट पेंशन के लिए जिम्मेदार जिला समाज कल्याण अधिकारी कौन हैं। आयुक्त ने ये जानकारी भी तलब की है। साथ ही शेष पेंशनर्स की दोबारा जांच कर चार सितंबर तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।
वहीं, जिला समाज कल्याण विभाग ने जहां 236 डुप्लीकेट पेंशनर्स की बात स्वीकारी हैं, वहीं निदेशक की ओर से भेजी गई जांच रिपोर्ट में मात्र 153 डुप्लीकेट पेंशनर्स बताए गए हैं। इस स्थिति को साफ करने के लिए भी जांच के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है। जांच रिपोर्ट में डुप्लीकेसी सामने आने के बाद आयुक्त ने संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। जबकि, विभाग ने नियमावली में मुकदमा दर्ज करने का प्राविधान होने से इन्कार किया है। इस पर आयुक्त ने निशक्त व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 91 का हवाला देते हुए फटकार लगाई है।
इसके अलावा, आयुक्त निशक्तजन उत्तराखंड मनोज चंद्रन ने बताया कि जिला समाज कल्याण अधिकारी की जांच में 236 पेंशनर्स के डुप्लीकेट होने का मामला सामने आया है। अभी जांच को समय बढ़ाया गया है, जिससे कि सभी संदिग्ध लोगों को ठीक तरह से जांच हो सके।