देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शिक्षा का हब माना जाता है लेकिन अब यहां नशा और विभिन्न आपराधिक तत्वों ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि पुलिस के आंकड़े इसकी गवाही कर रहे हैं। जिले में नशा तस्करी व अन्य आपराधिक गतिविधियां पुलिस के लिए आज भी चुनौती बनी हुई है। हालांकि देहरादून पुलिस ने वर्ष 2017 में नशा तस्करी से संबंधित विभिन्न कार्रवाई के तहत 539 व्यक्तियों को गिफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
नशा तस्करों का टरगेट युवा
जिले में सक्रिय नशा तस्कर यहां शिक्षा ग्रहण करने आ रहे युवाओं को अपना निशान बनाते हैं। दूसरे राज्यों, जिलों से स्मैक, चरस, गांजा आदि लाकर यहां के शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे युवाओं को सप्लाई करते हैं। पुलिस के मुताबिक ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें यहां पढ़ाई कर रहे छात्र ही नशा सप्लाई के कारोबार संलिप्त पाये गए हैं।
सोशल मीडिया संपर्क का मध्यम
पिछले दिनों कोबरा गैंग के गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के मुताबिक नशा तस्कर युवाओं से वाट्सअप, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से अपने ग्राहकों से स्मैक की बुकिंग करते हैं। इसके बाद माल को बुकिंग के अनुसार पर्चियां/पैकेट बनाकर अलग-अलग टीमें तैयार कर ग्राहकों को सप्लाई करते हैं। पुलिस से बचने के लिए पहले स्कूटी से पूरे रोड की रैकी करते है और रूट क्लीयर करने के पश्चात् दूसरा व्यक्ति माल की डिलीवरी करते हैं। इस दौरान कोई भी किसी से मोबाइल पर वार्तालाप नहीं करता है।
नशा के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई और आंकड़े
एसएसपी ऑफिस से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि राजधानी में इस वर्ष अब तक कुल 86 किलो 971 ग्राम चरस, 04 किलो 532 ग्राम स्मैक, 11 किलो 283 ग्राम अफीम, 100 ग्राम हेरोइन, 70 किलो गांजा, 73 किलो 200 ग्राम भांग पत्ती, 128 किलो डोडा पोस्त, 16855 नशीली गोलियां, 6647 नशीले इंजेक्शन, 20867 नशीले कैप्सूल, 08 एलएसडी बरामद हुई है। जिसमें कुल 391 अभियोग पंजीकृत किये गये, जबकि 539 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।