भूकम्प आने पर सायरन बजेगा; अर्ली वार्निंग सिस्टम का साफ्टवेयर

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    भूकम्प आने की स्थिति में सायरन बजेगा। इससे लोग अपनी जान बचा सकेंगे। इसके लिए राज्य के संवेदनशील स्थानों पर सेंसर लगाये जायेंगे। आईआईटी रूड़की ने रीजनल अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया है। यह जानकारी गुरूवार को सचिवालय में मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में आयोजित सलाहकार समूह समिति की बैठक में दी गई।
    प्रस्तुतीकरण के माध्यम से आईआईटी रूड़की के भूकम्प वैज्ञानिक अशोक कुमार ने बताया कि एक मोबाइल एप भी विकसित किया गया है। भूकम्प आने की स्थिति में मोबाइल से एक विशेष प्रकार की बीप के साथ एलर्ट किया जायेगा। इतना ही नहीं अर्ली वार्निंग सिस्टम को आल इंडिया रेड़ियो से भी कनेक्ट किया जायेगा। जहां पर कनेक्टिविटी नहीं है, वहां रेडियो के माध्यम से सायरन बजेगा। यदि रेडियो बंद है तब भी सायरन बजेगा।
    अर्ली वार्निंग सिस्टम का साफ्टवेयर भी बनाया गया है। उन्होने बताया कि अभी तक 84 सेंसर लगाये गये हैं। 1100 सेंसर और लगाये जाने हैं। सेंसर लगाने के बाद सभी संवेदनशील स्थानों पर सायरन लगाये जायेंगे।
    बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी, सचिव लोनिवि अरविंद सिंह हंयाकी, अपर सचिव स्वास्थ्य नीरज खैरवाल, अपर सचिव आपदा प्रबंधन सी0 रविशंकर, निदेशक मौसम विभाग विक्रम सिंह, आईआईटी रूड़की के वैज्ञानिक प्रो0 अजय गैरोला, निदेशक जीएसआई बीएम गैरोला, वैज्ञानिक वाडिया इंस्टीटयूट से  डा0 सुशील कुमार आदि उपस्थित थे।