कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज के जंगल में नौ हाथियों के झुंड के आने से आसपास बसे ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है। हाथियों के झुंड ने रात को हसनपुर-कल्याणपुर में खेतों में खड़ी फसलों को रौंद डाला। जबकि, कुछ दिन पूर्व तिमली में बगीचे की चाहरदीवारी को नुकसान पहुंचाने के साथ ही फसलों को रौंद दिया था। वन कर्मियों ने रात्रि गश्त को बढ़ा दिया था, लेकिन हाथियों का झुंड तिमली रेंज से गांवों के ग्रामीणों के लिए आतंक का पर्याय बना हुआ है। इसके साथ ही शिमला बाइपास से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है। काश्तकारों ने वन प्रभाग से फसल की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
ग्राम प्रधान आबिदा ने आरोप लगाया कि, :वन विभाग के कर्मी व अधिकारी जंगलों से लकड़ी तस्करी कराने में ही मशगूल हैं। जबकि जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए खेतों के किनारे ग्रामीणों को लकड़ी जलाने भी नहीं दिया जा रहा है। तिमली रेंज जंगल में कोरिडोर होने के चलते हाथियों की सक्रियता रहती है। यहां हर वर्ष हाथियों की आमद से स्थानीय काश्तकारों को नुकसान झेलना पड़ता है।” पिछले कई वर्षों से यहां एक या दो हाथी की आमद रहती थी, लेकिन स्थानीय काश्तकारों के मुताबिक इस बार हाथियों के झुंड ने एक साथ आमद दी है, जिससे काश्तकारों को अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेकिन बुधवार रात को हाथियों के झुंड ने तिमली रेंज से लगे हसनपुर के काश्तकारों की खेतों में खड़ी फसल को रौंद डाला।
लोगों ने बताया कि उनकी धान व नकदी फसलों को रात हाथियों ने नष्ट कर दिया है। हर साल हाथियों की आमद से होने वाले नुकसान को देखते हुए स्थानीय काश्तकारों ने वन विभाग से फसलों की सुरक्षा की गुहार लगाई, लेकिन विभागीय अधिकारी भी काश्तकारों की समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ग्राम प्रधान आबिदा ने वन कर्मियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि विभागीय अधिकारी व कर्मी सिर्फ लकड़ी तस्करी में ही मशगूल हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा के प्रति वन कर्मी लापरवाह बने हुए हैं। उन्होंने वन विभाग से फसलों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।