विकासनगर। जौनसार-बावर, पछवादून, टिहरी, उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले आदि के मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने वाले सबसे बड़े सरकारी स्वास्थ्य केंद्र सीएचसी विकासनगर में आपातकालीन सेवाएं वेंटिलेटर पर हैं।
सीएचसी में आकस्मिक उपचार देने के लिए आपातकालीन कक्ष ही उपलब्ध नहीं है। एक शैय्या की क्षमता वाले स्टोर रूम में अस्पताल प्रबंधन द्वारा आपातकालीन सेवा संचालित की जा रही हैं। वहीं, मरहम पट्टी लगाने के स्टोर रूम से छोटे आकार के कक्ष का उपयोग किया जा रहा है। यही हाल अस्पताल में पैरा मेडिकल कर्मियों का भी है। छह सौ से अधिक की ओपीडी एक फार्मासिस्ट के सहारे संचालित होती है। जबकि आपातकालीन सेवा के लिए भी मात्र एक फार्मासिस्ट व दो अप्रशिक्षित उपनल कर्मियों की सेवा ली जा रही है। अस्पताल में पिछले तीन माह से आर्थोपेडिक सर्जन का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में क्षेत्र में कोई दुर्घटना होने पर अस्पताल प्रबंधन के पास घायलों को प्राथमिक उपचार देने के लिए मानव संसाधन के साथ ही पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है। जाहिर है जहां आपातकालीन सेवाएं खुद ही वेंटिलेटर पर हों वहां आकस्मिक उपचार की आशा रखना बेमानी है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विकासनगर आठ लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाला सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है। दुर्घटना की दृष्टि से संवेदनशील जौनसार-बावर परगने में सड़क दुर्घटना होने पर सीएचसी विकासनगर में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल भी खुल जाती है। यहां एक साथ दो घायलों को आकस्मिक उपचार देना भी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए संभव नहीं है। कारण आकस्मिक सेवाओं को संचालित करने के लिए कक्ष में पर्याप्त जगह ही नहीं है। आठ लाख की आबादी को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने वाले अस्पताल में आपातकालीन वार्ड के नाम पर एक स्टोर नुमा कक्ष में मात्र एक बैड उपलब्ध है। ऐसे में क्षेत्र में बड़ी वाहन दुर्घटना होने पर घायलों को किस तरह प्राथमिक उपचार दिया जाता होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं सीएचसी में मात्र दो फार्मासिस्ट तैनात हैं जिनमें से एक की ड्यूटी स्टोर रूम में रहती है। लिहाजा ओपीडी व आकस्मिक सेवाओं का संचालन मात्र एक ही फार्मासिस्ट के सहारे हो रहा है। दो अप्रशिक्षित उपनल कर्मी जरूर हर रोज फार्मासिस्ट की सहायता के लिए तैनात रहते हैं। क्षेत्र के सबसे बड़े स्वास्थ्य केंद्र में आपातकालीन सेवा के खुद ही वेंटिलेटर पर होने से जनता को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए जिम्मेदारों की संवेदनशीलता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
इस मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून डॉ. वाईएस थपलियाल ने कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को दुरस्त करने के लिए आवश्यक भौतिक व मानव संसाधन प्राथमिकता के आधार पर मुहैया कराए जा रहे हैं। जिससे मरीजों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके।