डाक्टर ने किया करिश्मा बच्चे को मिला नया जीवन

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रुद्रपुर के मेडिसिटी अस्पताल में न्यूरो सर्जन डा. अजय बजाज ने मात्र पांच दिन के नवजात शिशु की अर्ली न्यू नेटर सर्जरी करके विश्व रिकार्ड बनाते हुए बच्चे को जीवनदान दिया है। अभी तक न सिर्फ भारत बल्कि विश्व भर में इतने छोटे बच्चे की न्यूरो सर्जरी नहीं की गयी है। पेश है एक रिपोर्ट।

मेडिसिटी अस्पताल के एमडी डा. दीपक छाबड़ा ने उत्तरप्रदेश के जिला बरेली निवासी महेंद्रपाल की पत्नी सीमा को चार अक्टूबर को एक निजी हॉस्पिटल में पुत्र हुआ। अस्पताल के डाक्टर ने बच्चे को काला पीलिया बताया और अन्यत्र ले जाने की सलाह दी। परिजन नौ अक्टूबर को बच्चे को लेकर मेडिसिटी अस्पताल में उनके पास पहुंचे। डा. छाबड़ा ने बच्चे को देखने और उसकी जांचों के अनुसार बच्चे के माता पिता को बताया कि लगभग 42 एमजी/डीआई तक पीलिया हो चुका है।
baby in hospital

डा. ने बच्चे के शरीर का पूरा रक्त बदल दिया, उसके बाद भी बच्चा होश में नहीं आया तो उसके सिर का सीटी स्कैन कराया गया। जिसमें पता चला कि उसके दिमाग के आधे हिस्से में खून जम चुका है जिस कारण बच्चे का दिमाग पूरी तरह काम नहीं कर रहा था। उन्होंने हार नहीं मानी और अस्पताल में मौजूद जाने माने न्यूरो सर्जन डा. बजाज से बात की।  डा. बजाज ने बच्चे को न्यूरो डिपार्टमेंट में ले लिया और बच्चे को बचाने की आखिरी उम्मीद में पांच दिन के बच्चे के सिर की सर्जरी की। दो घंटे के आपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में रखा गया। एनआईसीयू वार्ड में जांचों के बाद बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया।

डा. अजय  बजाज ने बताया कि वह कांग्रेस ऑफ वल्र्ड न्यूरोलॉजिकल सर्जन यूएसए के सदस्य हैं। उन्होंने इस ग्रुप में आपरेशन की जानकारी साझा की और ग्रुप के सदस्यों से जानकारी ली तो बताया गया कि तीन माह तक के बच्चे की न्यूरो सर्जरी ही अब तक की गई है। इतने छोटे बच्चे की सर्जरी उनकी जानकारी में विश्व में कहीं नहीं हुई है। कहा कि इतने छोटे बच्चे की न्यूरो सर्जरी बेहद कठिन होता है। वह अपनी इस उपलब्धि को लिम्का बुक में दर्ज कराने को भेजेंगे।
वही बच्चे के परिजन इस सफल ऑपरेशन और बच्चे के जीवन दान को दीवाली के मौके पर तोफा मान रहे है। कहते हैं, ‘जाके राखे सांईयां मार सके ना कोई,’ चार दिन के बच्चे की हालत देख जहां डाक्टर भी हिम्मत हार चुके थे वहीं जिसको जीवन मिलना था उसके लिए भगवान की तरह डा बजाज उसे मिले और उन्होने वो करिश्मा कर दिखाया जिससे पुरा चिकित्सा जगत हैरान है, और पुरा चिकित्सा जगद इस उपलब्धि के लिए जहां बच्चे की जान बचाने वाले डाक्टर को बधाी दे रहे हैं वहीं उनकी उपलब्धि को लिम्का बुक में भी दर्ज कराने की पहल पर जुट गये हैं।