उत्तराखण्ड में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा को सीधी टक्कर देने के लिए सियासी समीकरण साधने में जुट गई है। पार्टी गढ़वाल और कुमांऊ दोनों मंडलों में अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए अलग-अलग बैठकें करेगी, जिसमें राज्य और केन्द्र की भाजपा सरकार की विफलताओं को जनता के बीच रखने की खास योजना बनाई जाएगी।
कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार राहुल गांधी के संभालने और प्रदेश में संगठन का जिम्मा प्रीतम सिंह के हाथ में आने के बाद संगठन के सामने भी इस परीक्षा में खरा उतरने की चुनौती है। वैसे भी शहरी मतदाताओं में भाजपा की पैठ और खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। इससे निपटने के लिए पार्टी महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों के जरिए कार्यकर्ताओं के मनोबल को नई धार देने की कोशिश में है। हाल ही में गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी अपने प्रदर्शन से बेहद खुश है। इसी उत्साह को वह उत्तराखण्ड नगर निगम चुनाव में उपयोग कर भाजपा पर बढ़त बनाना चाह रही है। लिहाजा, आठ नगर निगमों में पार्टी ने मजबूत प्रत्याशियों की ढूंढ शुरू कर दी है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने नगर निगम समेत अन्य निकायों के लिए प्रत्याशियों के चयन के संबंध में गढ़वाल मंडल के पार्टी पदाधिकारियों की 26 दिसम्बर को दून और 07 जनवरी को कुमांऊ मंडल के पदाधिकारियों की बैठक तय की गई। क्योंकि इस बार पिछले निकाय चुनावों की तुलना में दमदार प्रत्याशियों पर दांव खेला जा सकता है। इसके लिए प्रदेश संगठन ने प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा और आम कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए दोनों मंडलों में सम्मेलन रखे हैं, जिसमें दोनों क्षेत्रों के कार्यकर्ता पदाधिकारी और चुनाव लड़ने वाले संभावित प्रत्याशी जुटेंगे।
हाल ही में 2जी और आदर्श घोटाला में न्यायालय द्वारा क्लिनचिट मिलने पर कांग्रेस द्वारा भाजपा पर भ्रमित राजनीति करने आरोप मढ़ रही है। साथ ही भाजपा सरकार के सीमा विस्तार के फैसले के विरोध में कांग्रेस ग्रामीण जनता का साथ देकर अपना बढ़ाने की दांव भी अजमाने के फिराक में है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष खुले मंच से सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे ग्रामीणों को साथ देने की बात कही। साथ ही सरकार को घेरने व निकाय चुनाव में धांधली को लेकर निर्वाचन आयोग से मिलकर कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल ज्ञापन भी सौंप चुका है।
कांग्रेसियों का कहना है कि लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव में भाजपा जनता को गुमराह कर चुनाव जीत रही है, लेकिन अब जनता डबल इंजन सरकार की झूठे आश्वासनों में आने वाली नहीं है। जबसे भाजपा प्रदेश और देश में सत्ता संभाली है, तबसे महंगाई चरम पर है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई। शहर से लेकर गांव तक सफाई अभियान के नाम पर फोटो चमकाया जा रहा है। ऐसे में भाजपा को जनता अब स्वीकर नहीं करेगी। भाजपा के नेता पूरे देश में सामाजिक और आर्थिक अराजकता फैलाए हुए हैं। ऐसे परिदृश्य में कांग्रेस के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सभी नगर क्षेत्रों में व्यापारी वर्ग की बहुलता है और यही वर्ग किसानों, बेरोजगारों के साथ सबसे ज्यादा पीड़ित है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भाजपा की चाल-चरित्र वाली पार्टी बताते हुए कहा कि सत्ता के लोभ में बीजेपी किसी को भी बदनाम कर सकती है। जैसे यूपीए सरकार के खिलाफ भाजपा एक सोची-समझी षडयंत्र के तहत खेल खेली और सत्ता भी लिया, लेकिन न्यायालय में एक के बाद एक निर्णय से भाजपा को सबक लेना चाहिए। उनका कहना है कि हम पूरे दम-खम से राज्य भर में चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए दोनों मंडलों के कार्यकर्ताओं संग बैठक की जाएगी। कांग्रेस निकाय चुनाव पूरी गंभीरता से लड़ रही है। पार्टी कार्यकर्ता पदाधिकारी व कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास रखने वाले सभी लोग पार्टी के द्वारा जो भी प्रत्याशी घोषित होगा और उनको जिताने का कार्य करेंगे। सम्मेलन में निकायों में अध्यक्ष और पार्षदों की सीटों पर दावेदारों के नाम मांगे जाएंगे। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं में इस जंग के लिए जोश भरा जाएगा। आश्चर्य नहीं कि विधानसभा चुनाव लड़ चुके कई दमदार चेहरे इस बार निकाय चुनाव में भी दम ठोकते नजर आएं। कांग्रेस की ओर से राजधानी देहरादून में 25 दिसम्बर को धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया है। इस प्रदर्शन के माध्यम से सरकार के खिलाफ कांग्रेस हल्ला बोलेगी।