वन भूमि के लंबित मामलों की सीएम ने की समीक्षा, अधिकारियों को दिए निर्देश

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरुवार को सचिवालय में वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये प्रदेश के सभी जिलों में वन भूमि के लंबित प्रकरणों की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि जिन प्रकरणों में ‘काॅम्पनसेटरी लैण्ड’ का म्यूटेशन वन विभाग के नाम से होना है, उसे तत्काल पूरा किया जाए। जिन मामलों में एनपीवी जमा करना है उसे तुरंत जमा किया जाए। जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूचि लेते हुए इसका अनुश्रवण करें। वन भूमि प्रकरण होने के चलते विकास योजनाओं में देरी होना उचित नहीं है। जिलाधिकारी सुनिश्चित करें कि विभाग वन भूमि हस्तांतरण के जो भी प्रस्ताव भेजे वह सही हों। छोटी-छोटी लिपिकीय त्रुटियों की वजह से विकास योजनाएं महीनों विलंबित हो जाती हैं।
बैठक में सुझाव प्राप्त हुआ कि सड़कों और अन्य विकास योजनाओं में वन भूमि के बदले दो गुनी भूमि देने की बाध्यता पर राजस्व विभाग, न्याय विभाग और वन विभाग की एक संयुक्त समिति बनाई जाए, जो सभी कानूनोें-नियमों के आलोक में अपनी संस्तुति दे। पीएमजीएसवाई जैसी केन्द्र पोषित योजनाओं के लिये दो गुनी भूमि देने के स्थान पर डिग्रेडेड फॉरेस्ट में वनीकरण के लिये दो गुना मुआवजा देने की अनुमति हेतु अनुरोध किया जाए। वन भूमि हस्तांतरण के लिए तैनात नोडल आॅफिसर को विभिन्न वन भूमि हस्तांतरण के प्रकरणों में आवश्यक नक्शे के निर्माण के लिये कुमाऊ एवं गढ़वाल में कुछ रीजनल केन्द्र बनाने को कहा गया। यह केन्द्र एटीआई नैनीताल, कुमाऊं विश्व विद्यालय और अन्य उच्च शिक्षण-शोध संस्थाओं में खोले जा सकते हैं।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने बताया कि उत्तरकाशी में 17 ग्रामों का विद्युतीकरण वन क्षेत्र में आने की वजह से प्रभावित हो रहा है, जिस पर नोडल अधिकारी को विशेष अनुमति हेतु प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये गये। सीईओ पीएमजीएसवाई उत्तराखंड ग्रामीण सड़क एजेन्सी डाॅ. राघव लंगर ने बताया कि प्रदेश में वन भूमि हस्तांतरण के कुल 310 प्रस्ताव हैं, जिनमें 164 प्रस्तावों में सैद्धांतिक सहमति प्राप्त हो गई तथा 146 अवशेष प्रस्ताव है। 164 प्रस्तावों में 28 को विधिवत स्वीकृति प्राप्त हो गई है तथा 114 में म्यूटेशन प्रक्रिया हो गई है। 12 प्रकरण ऐसे है जिनसे एक से कम सीमा में आने के कारण म्यूटेशन की जरुरत नहीं हैं। 66 प्रकरणों को सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर विधिवत स्वीकृति हेतु भेजा गया है। जनपद वार वन भूमि हस्तांतरण प्रकरणों में पिथौरागढ़ में 46, बागेश्वर में 23, चमोली में 33, रूद्रप्रयाग में 12, उत्तरकाशी में 31, चम्पावत में 27, अल्मोड़ा में 54, नैनीताल में 16, टिहरी में 21, पौड़ी गढ़वाल में 26, देहरादून में 20 तथा हरिद्वार 01 प्रस्ताव है।