वीकेंड पर पर्यटकों से गुलज़ार रहेगी मसूरी

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    पहाड़ो की रानी मसूरी एक ऐसा डेस्टिनेशन हैं जो किसी स्पेशल ओकेज़न की मोहताज नहीं यहां विकेंड में बिना किसी त्यौहार और बिना किसी स्पेशल दिन के भीड़ हो ही जाती हैं। लेकिन अगर विकेंड तीन दिन का हो तब क्या पूछना, ठीक ऐसा ही हो रहा है इस विकेंड, जब मसूरी लोगों से खचा-खच भरी है। जितने तरह के पर्यटक उतनी ही तरह की गाड़िया, मसूरी की सड़कों पर देखने को मिल रही है।कहने का मतलब साफ है कि शनिवार शाम से मसूरी लगभग फूल है और इससे सबसे ज्यादा खुश है स्थानीय होटल व्यापारियों। होटल और रेस्टोरंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि, ‘मार्च आखिरी से लगभग सभी बड़े होटलों में इस वीकेंड के लिये 70-80 प्रतिशत बुकिंग पहले से हो चुकी थी।’

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    आकाश की ऊचाइयों को छूता हुआ यह हिल स्टेशन हमेशा से उनकी पहली पसंद रहा हैं जिन्हें शहर की धूल भरी और भाग दौड़ भरी जिंदगी से ब्रेक चाहिए होता है।अलग अलग शहर जैसे कि दिल्ली,हरयाणा,पंजाब के लोग आपको मसूरी के माल रोड पर टहलते नजर आ जाऐंगे।मैदानी इलाकों में पड़ रही चिलचिलाती गर्मी और अपने रुटिन लाईफ से थोड़ा हटकर कुछ करने के लिए लोग मसूरी की ठंडी वादियों को चुनते हैं और अपना विकेंड यहां बितान पसंद करते हैं।

    मसूरी पहुंचना बाकि हिल स्टेशन से आसान हैं। रेल,रोड और हवाई यात्रा की सुविधा इसको और भी खास और पर्यटकों के लिए आसान बना देती है। जबकि पर्यटक मसूरी में आकर मौसम में खो जाते हैं और यहां के कल्चर को इंजौय करते हैं। यहां के क्षेत्रीय लोगों के लिए परेशानियां थोड़ी बढ़ सी जाती हैं। टूरिस्ट बढ़ने से शहर में जाम की समस्या, पानी की समस्या, सीवेज, कूड़े आदि की समस्या बढ़ जाती हैं।मसूरी निवासी मिस्टर दास कहते हैं कि जब आप पहाड़ की वादियों में रहते हो तो कुछ ना कुछ तो परेशानी होती ही है, यह हिल स्टेशन अगर दूर-दराज के लोगों को अपनी ओर खिंच रहा हैं तो कुछ तो खास है।  शायद यहां के लोकल लोगों को इसी खासियत की वजह से टूरिस्ट सीज़न में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है।