सीएम त्रिवेंद्र ने एनएच 74 घोटाले पर बिठाई सीबीआई जांच

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त्रिवेंद्र रावत ने कांग्रेस सरकार के दौरान राष्ट्रिय राजमार्ग में हुए घोटाले की सीबीआई जाँच की घोषणा की। इस मामले में 200 करोड़ रुपये का घोटाला कमिश्नर की जांच में सामने आया है। 4 तत्कालीन एसडीएम और 3 भूमि अध्यापित अधिकारी दोषी पाए गए। 6 लोगों को निलंबित किया गया, जब की 1 अधिकारी रिटायर हो चुकॆ है। पूर्व सीएम हरीश रावत की विधान सभा क्षेत्र किच्छा के अंतर्गत थे चारों एसडीएम। राजनितिक साजिश की भी बू आ रही है इस घोटाले में। ज़मीनों के मुआवज़े बांटने में हुआ था यह बड़ा खेल। 20 गुना तक बांटा गया मुआवजा तथा कृषि भूमि को अकृषि दर्शाया गया। कमिश्नर की जांच में पकड़ा गया था घोटाला। इस मामले की तह तक जाने के लिए सीबीआई जांच के निर्देश दिए गए हैं।

कुमाऊ कमिश्नर ने अधिकारियों की बृहस्पतिवार को जमकर परेड कराई और फाईलों के पुलिदे लगवा दिये। हालांकि गत दिवस शासन के निर्देश पर विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद से डीपी सिंह को हटा दिया गया था, मगर शुरूवाती जांच में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि श्री सिंह साजिश के शिकंजे में फंसे हुए हैं। भूमि अधिग्रहण से लेकर अभिनिर्णय पारित करने और मुआवजा वितरण का अधिकतर कार्य डीपी सिंह की तैनाती से पहले हो चुका था। अपनी दबंग छवि के कारण डीपी सिंह सिंडिकेट व अफसरों के निशाने पर हैं।

चर्चा है कि डीपी सिंह ने अपने कार्यकाल में दबंगई दिखाई और सरकारी भूमि का मुआवजा ले रहे कुछ लोगों की सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। इसके बाद से वह सिंडीकेट और कुछ अफसरों के निशाने पर आ गए। उनके घर आयकर का छापा पड़ा। इस घोटाले में एनएचआई के अफसरों की भी मिलीभगत सामने आ रही है, क्योंकि उन्होंने किसी भी फाइल पर आपत्ति तक नहीं की और एसएएलओ द्वारा पारित अभिनिर्णय के अनुसार ही मुआवजा राशि जारी कर दी। इसकी पृष्ठभूमि में सरकारी भूमि का मुआवजा लेने वालों के मंसूबे नाकामयाब करने की बात भी चर्चा में हैं।