क्लोरीन गैस रिसाव प्रकरणः लीपापोती में जुटा प्रशासन, जांच कमेटी गठित

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देहरादून के दिलाराम बाजार स्थित वाटर वर्क्स में क्लोरीन गैस के सिलेंडर में विस्फोट के बाद हुए रिसाव से प्रभावित व्यक्तियों को दून अस्पताल में भर्ती नहीं किए जाने के प्रकरण में प्रशासन के स्तर पर लीपापोती शुरू हो गई है। प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है और प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं थी, बल्कि बेड खाली नहीं थे। जब तक मौजूद स्टाफ बेड की व्यवस्था कर रहा था, तीमारदार मरीजों को लेकर निजी अस्पतालों में चले गए।

गुरुवार मध्य रात्रि देहरादून के जल संस्थान में क्लोरीन गैस के सिलेंडर में विस्फोट से आसपास का इलाका दहल गया था। इसके बाद हुए रिसाव से लोगों को सांस लेने में परेशानी हुई तो अस्पताल की ओर दौड़े। दिलाराम चौक पर तैनात सिटी पेट्रोलिंग यूनिट (सीपीयू) के चार जवान भी गैस की चपेट में आए। घटना के बाद लोगों ने राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज का रुख किया, लेकिन उन्हें वहां से बैरंग लौटा दिया गया। इसके बाद पीड़ितों ने निजी अस्पतालों की शरण ली। गनीमत रही कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। कुल 14 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया, जबकि शेष को सामान्य स्थिति होने पर रात में ही अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई। इस पूरे प्रकरण को लेकर सरकारी अस्पताल की व्यवस्थाएं सवालों के घेरे में आ गई हैं। हाल ही में गोरखपुर में ऑक्सीजन नहीं होने के कारण हुए दर्दनाक हादसे की यादें भी इस प्रकरण ने ताजा कर दीं।
शुक्रवार को मामले ने तूल पकड़ा तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रकरण की जांच के लिए उनके चिकित्सा सलाहकार डॉ. नवीन बलूनी की अध्यक्षता में तीन सदस्य समिति गठित की है। इसमें स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अर्चना श्रीवास्ताव व निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना शामिल हैं। टीम अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सौंपेगी। जांच समिति ने शुक्रवार सुबह दून चिकित्सालय जाकर उक्त प्रकरण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अस्पताल की इमरजेंसी का निरीक्षण किया और क्लोरीन गैस से प्रभावित व्यक्तियों को निजी चिकित्सालयों को रेफर करने पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा, इमरजेंसी चिकित्सा अधिकारी व रात में तैनात स्टॉफ से जानकारी ली। निरीक्षण में पाया गया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। तकरीबन 300 बेड ऑक्सीजन आपूर्ति के साथ जोड़े गए हैं।
बताया गया कि क्लोरीन गैस से प्रभावित व्यक्तियों को भर्ती नहीं किए जाने का कारण बेड उपलब्ध न होना था। इमरजेंसी स्टॉफ ने बताया कि प्रभावितों को भर्ती करने की वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने से पूर्व ही तीमारदार उन्हें निजी चिकित्सालयों में ले गए। इन तथ्यों की पुष्टि के लिए समिति के सदस्यों ने अस्पताल की इमरजेंसी व उन वार्डों का भी निरीक्षण किया, जहां पर ऑक्सीजन की व्यवस्था थी। डॉ. बलूनी व समिति के अन्य सदस्यों सीएमआइ व श्री महंत इन्दिरेश ने अस्पताल जाकर प्रभावित व्यक्तियों व तीमादारों से बात की और अस्पताल द्वारा दिए गए उपचार की जानकारी भी ली।
इमरजेंसी में तैनात स्टाफ से जवाब तलब
चिकित्सा सुविधाओं को लेकर देहरादून में भी गोरखपुर से अलग हालात नहीं हैं। जल संस्थान में गुरुवार देर रात क्लोरीन गैस के रिसाव हादसे ने राजधानी की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोल दी। गैस रिसाव की घटना ने साबित कर दिया कि आपात स्थिति के लिए राजधानी में सरकारी व्यवस्था तैयार नहीं हैं। गनीमत यह रही कि राजधानी का मामला था और कई बड़े निजी अस्पताल लोगों की पहुंच में थे, वरना एक बड़ा हादसा होने के बाद यहां भी बस राजनीत होती। फिलहाल हादसे के बाद पीड़ितों को भर्ती नहीं किए जाने के मामले में शुक्रवार को दून मेडिकल कालेज प्रशासन ने इमरजेंसी में तैनात डाक्टर, फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ से स्पष्टीकरण मांगा है। जल संस्थान में गैस रिसाव के बाद अस्पताल पहुंचे मरीजों रेफर किए जाने पर उठे सवालों के यह बाद कार्रवाई की गई । चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टाका कहना है कि अस्पताल में आक्सीजन की कोई कमी नहीं। डेंगू वार्ड में ही 10 बेड खाली थे।
20 बेड की आपदा इमरजेंसी बनेगी
गैस रिसाव के बाद सामने आई लापरवाही के बाद विभाग की नींद टूटी। अब दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में 20 बेड की डिजास्टर इमरजेंसी बनाई जाएगी। स्वास्थ्य सलाहकार डा. नवीन बलूनी ने अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। विभाग के अनुसार इन सभी बेड पर रहेगी आक्सीजन सप्लाई। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये समिति बनेगी। समिति में डाक्टर, फार्मासिस्ट व नर्स समेत अन्य स्टाफ रहेगा। अस्पताल की अन्य समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए भी बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं|
सभी पीड़ित स्वस्थ, दी गई छुट्टी
क्लोरीन गैस रिसाव के कारण बीमार हुए सभी लोग अब स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। जिलाधिकारी, देहरादून एसए मुरुगेशन ने बताया कि गैस रिसाव से 14 लोग प्रभावित हुए थे। मैक्स, सीएमआई और महन्त इंद्रेश अस्पताल में इनका उपचार किया गया। सभी को डिस्चार्ज कर दिया गया है।