आपदा के दर्द से आगे बढ़ ये युवा आबाद कर रहे हैं पहाड़ के घोस्ट विलेज

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उत्तराखंड युवाओं ने राज्य में पर्यटन को बढ़ाने और आमदनी के स्रोत बनाने के लिये होम-स्टे के मॉडल पर एक नायाब प्रयास किया है। हम बात कर रहे हैं “पहाड़ी हाउस होमस्टे” की जो उत्तराखंड में होमस्टे का पुराना नाम है। अगर आप अपने शहर की भागदौड़ की जिंदगी से थक चुके हैं और पहाड़ों की वादियों में खोना चाहते हैं तो पहाड़ी हाउस होमस्टे आपके लिए एक मुफीद डेस्टिनेशन है।

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इसकी सबसे खास बात है यह आपको हर वो अनुभव देगा जो अब तक शायद आप अपने मन में सोचते थे, जैसे कि पेड़ों पर चढ़ कर खुद फल तोड़ना, खेत से अपनी पसंद की सब्जी तोड़ना जो कि सौ प्रतिशत ऑर्गेनिक है। इसके अलावा जो लोग एडवेंचर में रुचि रखते हैं उनके लिए ट्रैकिंग और दूसरे लुभावने एक्टिविटी भी हैं।साल 2015 से शुरु हुए पहाड़ी होमस्टे को दो युवा अभय शर्मा और बिपेंद्र भंडारी मिलकर चला रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनके होमस्टे में अबतक लगभग 1500-2000 लोगों ने स्टे किया है जो देश और दुनिया के कोने-कोने से आए हैं।

abhay sharma at pahadi house

पहाड़ी होमस्टे के बारे में न्यूजपोस्ट से बात करते हुए अभय शर्मा बताते हैं कि, ”साल 2013 में आई आपदा में बहुत से लोगों का नुकसान हुआ था और उसी वक्त हमारा राफ्टिंग का छोटा सा बिजनेस भी खत्म हो गया। लेकिन हार ना मानते हुए हम दोनों ने एक बार फिर शुरुआत करने की सोची और तब हमने पहाड़ी हाउस होमस्टे शुरु किया। जैसा कि नाम से पता चलता है पहाड़ी हाउस एक इको-फ्रेंडली होमस्टे है और इसकी खास बात ये है कि यह उन घरों से बनाया गया है जिसे छोड़ कर लोग पलायन कर चुके हैं। अभय बताते हैं कि हमने पुराने घरों को रिपेयरिंग करने के बाद उसको सभी सुविधाओं से लैस किया जिससे लोगों को स्टे में किसी भी तरह की कमी ना महसूस हो।”

pahadi house

पहाड़ी होमस्टे के घरों की दीवारें कीचड़, गाय के गोबर और लकड़ियों से बनी हैं और इसको बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण था देवभूमि को एक अलग पहचान दिलाना जो पहाड़ी होमस्टे पिछले तीन सालों से कर रहा है। इस समय पहाड़ी होमस्टे तीन जगह कानाताल, ऋषिकेश और हाथीपांव में है जिसके माध्यम से क्षेत्रीय लोगों को भी रोज़गार के अवसर तो मिल ही रहे हैं साथ ही ऑर्गेनिक फार्मिंग को भी एक नई पहचान भी मिल रही है। पहाड़ी हाउस में आपको बहुत से नये आयाम मिलेगें जिनमे बर्ड वाचिंग, स्टार गेज़िंग और आसापास के इलाकों की लोकल कहानियां उन्ही लोगों की जुबानी सुनने को मिलेंगी।

तो अगर आप पहाड़ों की सर्द हवाओं को महसूस करना चाहते हैं और अपनी व्यस्त ज़िंदगी से कुछ पल सुकून के चाहते हैं तो पहाड़ी होमस्टे आपका बाहें खोले इंतजार कर रहा है।