राजनीति: किसके हाथ लगेगी राज्यसभा की ये एकलौती सीट?

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जहां एक तरफ कांग्रेस ने खुद ही राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार न उतार कर अपनी दावेदारी खत्म कर दी है वहीं 2017 विधानसभा चुनावों में मिले भारी बहुमत के चलते सत्ताधारी बीजेपी के लिये इस चुनाव में जीत तय हो गई है। लेकिन ऐसा नहीं है कि बीजेपी की मुश्किलें खत्म हो गई हों। उसके सामने चुनौती है कि राज्यसभा कि इस इकलौती सीट पर किस नेता के नाम पर मुहर लगाकर उसे अपर हाउस भेजा जाये।

चुनावों के करीब आते ही पार्टी में सीट के दावेदारों की लिस्ट लंबी होती गई। इन सबमें सबसे आगे चल रहे हैं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और 2016 विधायकों को तोड़कर त्तकालीन हरीश रावत सरकार को झटका देने वाले विजय बहुगुणा। सत्ता के गलियारों में ये बात भी कही जा रही है कि इस बगावत को अंजाम देने के इनाम के तौर पर विजय बहुगुणा को राज्यसभा सीट से नवाज़ा जा सकता है। कुछ लोगों का ये भी मानना है कि इस बगावत की व्यूह रचना करने के बदले बहुगुणा ने अपने लिये राज्य सभा सीट की डील की थी।

वहीं इस सीट के दूसरे प्रबल दावेदार के रूप में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट का नाम भी रेस में है। माना जा रहा है कि भट्ट को चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने और जीत दिलाने के इनाम के रूप में राज्यसभा भेजा जा सकता है। भट्ट के पक्ष में पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता जैसे की भगत सिंह कोशियारी भी दिखाई दे रहे हैं। हांलाकि भट्ट ने कई बार इस रेस में न होने की बात कही है।

हांलाकि अजय भट्ट को राष्ट्रीय राजनीति और दिल्ली में राजनीतिक गलियारों का अनुभव नही है। वहीं विजय बहुगुणा हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं और साथ ही उत्तराखंड आने से पहले अपना ज्यादा समय दिल्ली के राजनीतिक कॉरिडोर में बीताते थे जो उनके पक्ष में जा सकता है। लेकिन ये भी तय है कि अगर विजय बहुगुणा को ये सीट मिलती है तो पार्टी में पुराने नेताओं की बीच असंतोष बढ़ेगा। ये नेता पहले से ही राज्य मंत्रीमंडल में कांग्रेस के पांच बागी विधायकों को जगह मिलने से खफा चल रहे हैं।

इन सभी के बीच हाल ही में राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए अजीत डोवाल के बेटे शौर्य डोवाल, पार्टी के नेता तीरथ सिंह रावत, दिल्ली में राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी, सतपाल माहराज की पत्नी अमृता रावत के भी नाम भी रेस में चल रहे हैं। अनिल बलूनी के पक्ष में केंद्रीय नेतृत्व से उनकी नज़दीकी, शौर्य डोभाल के लिये पिता का कद और अमृता रावत के लिये सतपाल माहराज और मुख्यमंत्री के बीच तनातनी को कम करना जा सकता है।

बहरहाल इतना तय है कि ये सीट जायेगी बीजेपी के खाते में। लेकिन पार्टी में किस नेता के अच्छे दिन आते हैं इसके लिये थोड़ा इंतजार और करना पड़ेगा।