राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में खुलेंगे 181 ग्रोथ सेंटर

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    पलायन की मार से त्रस्त राज्य के पर्वतीय जिलों के दिन बहुरने की उम्मीद जगी है। 13 में से 10 पर्वतीय जिलों के 181 कस्बों के इर्द-गिर्द औद्योगिक ग्रोथ सेंटर खोले जा सकते हैं। इससे जहां पहाड़ के लोगों को पहाड़ में रोजगार के अवसर सृजित होंगे, वहीं ग्रोथ सेंटरों व उनके आसपास शहरी क्षेत्रों की भांति सुविधाएं भी विकसित हो सकेंगी। इस सिलसिले में नियोजन विभाग जल्द ही सरकार को मसौदा सौंप देगा।

    विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में औद्योगिकीकरण सिर्फ मैदानी क्षेत्रों तक ही सिमटा हुआ है। हालांकि, पूर्व में पहाड़ में उद्योग चढ़ाने के मकसद से नीति भी बनी, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाई। सूरतेहाल, बेहतर भविष्य और रोजगार की तलाश में पहाड़ के गांवों से निरंतर पलायन हो रहा है। ऐसे में खाली होते गांवों ने सरकार की पेशानी में बल डाल दिए हैं। यही वजह है कि हिमालय दिवस पर नौ व 10 सितम्बर को देहरादून में हुए सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन में पलायन और इसे थामने के मुद्दे को प्रमुखता से रखा गया। साथ ही आजीविका विकास एवं आपदा प्रबंधन भी फोकस था। इस सम्मेलन में आई सिफारिशों को लेकर नियोजन विभाग ने मसौदा तैयार कर लिया है।
    सूत्रों के अनुसार मसौदे के मुख्य बिंदु में पलायन थामने के लिए 10 पर्वतीय जिलों की 90 तहसीलों, 16 उप तहसीलों और 75 ब्लाक मुख्यालयों के इर्द-गिर्द ग्रोथ सेंटर खोलने की सिफारिश की गई है। मसौदे में विशेषज्ञों की ओर से आए सुझाव को शामिल करते हुए कहा गया है कि ग्रोथ सेंटर के लिए सरकार तो पहल करे ही, निजी क्षेत्र की मदद ली जा सकती है। इसमें ऐसे उद्योग लगाने पर जोर दिया गया है, जो पहाड़ के अनुकूल हों। यह भी सुझाव दिया गया है कि औद्योगिक इकाइयों में न्यूनतम मजदूरी के मानक का कड़ाई से अनुपालन हो।

    मसौदे की प्रमुख सिफारिशें
    -राज्य में कलस्टर बेस ढांचा विकसित करने को बड़े स्तर पर बने नीति
    -गांवों में रह रहे बुजुर्गों के लिए सोशल सिक्योरिटी सिस्टम हो तैयार
    -असंगठित क्षेत्र में न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था का हो अनुपालन
    -नई तकनीकी का समावेश कर डिस्टेंस लर्निंग कोर्स पर हो फोकस
    -एकीकृत सहकारिता का ढांचा किया जाए तैयार
    -कृषि उत्पादों के लिए स्थानीय स्तर पर भी मार्केटिंग पर हो ध्यान
    -पहाड़ में बैलों की जोड़ी क्रय करने पर मिले सब्सिडी
    -कृषि, बागवानी और सगंध पादपों की खेती को बने ठोस योजना
    -आपदा प्रबंधन के लिए सिस्टम ठोस एवं प्रभावी बने
    -मौसम पूर्वानुमान की सटीक जानकारी को लगे डॉप्लर रडार