उत्तराखंड विधान सभा का नया बोर्ड संस्कृत में

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देश में कुछ बदला हो या नहीं लेकिन रोज़ रोज़ सांकेतिक बदलाव ज़रूर देखने को मिल रहा है। इसकी ताज़ा मिसाल देखने को मिलि है उत्तराखंड में जंहा राज्य विधानसभा का बोर्ड अब संस्कृत भाषा में बदल दिया बया है।

8 तारीख से शुरु हुए राज्य विधान सभा सत्र के पहले दिन देहरादून स्थित विधान भवन पहुंचे विधायकों और अन्य लोगों को उस समय झटका लगा जब विधानसभा के ऊपर लगा हुआ बोर्ड नया मिला। इस नए बोर्ड पर हिंदी के साथ साथ संस्कृत भाषा में उत्तराखंड विधानसभा लिखा था। इस सत्र में राज्य विधानसभा के लिए और भी चीजें नई हुई हैं। राज्य में पहली बार ई-बजट यानि की पेपरलेस बजट पेश किया गया।

इस बदलाव का समर्थन करते हुए बीजेपी के मीडिया प्रवक्ता डां.देवेंद्र भसीन ने कहा कि ”संस्कृत तो हमारी पहचान है, और हमारे उत्तराखंड सरकार ने संस्कृत को दूसरी भाषा के रुप में स्वीकार किया है। मेरे हिसाब से इसमें कुछ गलत नही हैं अप अपनी सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं”।

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल ने विधानभवन में लगे संस्कृत के बोर्ड पर कहा कि “जो शुरु से हो रहा वहीं एक बार फिर हुआ, संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना ठीक है लेकिन हम उम्मीद करते हैं सरकार जुमलेबाजी से काम ना चलाए इससे बाहर आने की जरुरत हैं”।

इससे पहले बीजेपी सरकार के कार्यकाल संभालने के बाद राज्य के देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर 100 फीट का तिरंगा फहराया गया। इसके बाद विश्वविद्धालयों में तिरंगा फहराने का कल्चर जिसमें ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में 111 फीट तिरंगा फहराया गया था। 

संस्कृत और हिंदी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की यह कोशिश कितनी कारगर साबित होती है यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तो तय है कि अगर सरकार सच में संस्कृत को बचाने के लिए कोशिश करना चाहती है तो उसे बोर्ड पर संस्कृत में लिखने से और बहुत ज्यादा करने की जरुरत है।