हरिद्वार, रायवाला पुलिस ने बीती 22 दिसंबर को एक सेंट्रो कार से 16 कछुए के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस कार्रवाई के बाद अपने अधिकारियों की पीठ भी थपथपा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी। पत्रकारों के सामने अधिकारी ये बार-बार कह रहे थे कि हमारी टीम ने दुर्लभ प्रजाति के 16 कछुए पकड़े है। लेकिन अब इन कछुओं की बरामदगी में झोल नजर आ रहा है। दरअसल, पुलिस ने जो बयान प्रेस को जारी किये थे, उनमें कछुए की संख्या 16 बताई गई थी। लेकिन जब कैमरे के सामने आरोपियों के साथ कछुओं को दिखाया गया तो उसमें कछुए 16 नहीं बल्कि 18 थे। पुलिस ने आरोपियों से 18 कछुए कब्जे में लिये, अब सवाल ये है कि पुलिस की गिनती में फर्क कैसे आ रहा है। कहीं कछुओं को इधर-उधर तो नहीं कर दिया गया है।
रायवाला थाना प्रभारी महेश जोशी पहले कहते हैं कि कछुए सिर्फ 16 ही हैं। आपकी गिनती में फर्क हो गया होगा। फिर वो कहते हैं कि कछुए हमने वन विभाग को दे हैं और कछुए 16 ही थे। रायवाला प्रभारी का कहना है कि उनके लिए भी इनको जिंदा रखना बड़ी मुश्किल का काम हो गया था और सभी को कोर्ट के आदेश के बाद पार्क में छोड़ दिया गया है। पुलिस का बयान असंतोषजनक और लापरवाह था। एएसपी मंजूनाथ से जब इस मामले पर जानकारी मांगी गई तो उन्होंने भी कछुए की संख्या को 16 ही बताई। हालांकि उन्होंने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि अगर कछुओं की संख्या में कुछ गड़बड़ी है तो इसे एक बार फिर से दिखा लिया जाएगा।
वन विभाग के मोतीचूर रेंज में तैनात डीपी उनियाल का उनका कहना था कि पुलिस की तरफ से आये पत्र में 16 कछुओं की बात कही गई थी। लेकिन अभी तक हमने पुलिस से कछुए लिए ही नहीं है। उनियाल का कहना है कि आज ये कछुए पुलिस विभाग से लिए जाएंगे जिनको पार्क में छोड़ा जाएगा। अब बड़ा सवाल ये है कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ? अगर वन विभाग और कोर्ट को कागजों में 16 कछुओं की संख्या बताई गई है तो 2 और कछुए कहां चले गए। इस सवाल का जवाब पुलिस विभाग के पास नहीं है। इन तथ्यों को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे दुर्लभ प्रजाति के पकड़े गए ये कछुए थाने से ही गायब हो गये हैं। जिसे अब छिपने में पूरा महकमा लगा हुआ है।