कांग्रेसी गुटबाजी से हाशिये पर जाने के दर्द पर हरीश रावत ने फेंका ट्वीटर बम

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विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामने करने के बाद से ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत दोबारा अपनी राजनीतिक ज़मीन तलाशने में लगे हुए हैं। लेकिन इसे शायद इतिहास का दोहराना ही कहेंगे की जिस तरह हरीश रावत काल में कई नेताओं की अनदेखी कर उन्हें और उनके राजनीतिक करियर को हशिये पर घकेलने की कोशिश की गई थी वैसा ही कुछ आज हरीश रावत के साथ उत्तराखंड में होता दिख रहा है। और इसका दर्द हरदा ने अपने ही अंदाज़ में सार्वजनिक मंचों पर छलकाना भी शुरू कर दिया है।

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मंगलवार को हरीश रावत ने एक ट्वीट के ज़रिये राज्य कांग्रेस को प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिये बधाई दी। मगर इन कार्यक्रमों में खुद को न बुलाने और शीर्श नेताओं से संपर्क न रहने की बात भी रावत ने इस ट्वीट के ज़रिये लोगों से साझा कर दी। रावत ने लिखा “.शानदार, अभूतपूर्व, विशालतम मोटरसाइकिल रैली के लिए को बहुत बधाई। यदि मेरी भी कुछ भूमिका रखी गई होती तो मैं अवश्य भाग लेना चाहता। अध्यक्ष जी से मेरा आग्रह है कि कभी ऐसे कार्यक्रम हों तो मुझको जरूर बता दें…न देहरादून न हल्द्वानी के विषय में पार्टी अध्यक्ष और सीएलपी नेता से मेरी बात हो पाई।”

रावत के इस ट्वीट ने कांग्रेस में हड़कंप मचा दिया है। रावत के इन आरोपों पर मोर्चा संभालते हुए पार्टी अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी जवाबी हमला कर दिया। प्रीतम ने कहा कि “25 जनवरी को शाम 6बजे हमने फोन के माध्यम से हरीश रावत जी के पीए चंदन जीना को इस रैली के बारे में बताया और 28 को दोबारा व्हाट्सएप के माध्यम से याद दिलाया गया।समय पर जानकारी ना मिलने पर उनके रैली में अनुपस्थिति के बाद हमने उनसे निवेदन किया है कि वह हमें अपना कोई निजी नंबर दे जिससे हम सीधे उनसे संपर्क कर सके और आगे ऐसी र्दुभाग्यपूर्ण स्थिती ना पैदा हो।उन्होंने कहा कि रावत जी को इन कार्यक्रमों के लिये बुलाया गया था, वो नहीं आ सके इसमें पार्टी की जिम्मेदारी या गुटबाजी का सावल ही नहीं उठता है।”

वहीं पूर्व पार्टी अध्यक्ष कशोर उपाध्याय ने कहा कि “हरीश रावत जी को सुचना क्यों नहीं मिली यह तो अध्यक्ष प्रीतम सिंह ही बता सकेंगे,मेरा तो यह मानना है कि इस समय हम कांग्रेस पार्टी को एक होकर चलना होता तभी सांप्रदायिक शक्तियों को जवाब दे सकेंगें।”

इस मामले ने बीजेपी को भी कांग्रेस पर निशाना साधने का मौका दे दिया है। बीजेपी प्रवक्ता डॉ.देवेंद्र भसीन ने कहा कि ”कांग्रेस एक बिखरा हुआ कुनबा है जिसके अंदर कई कांग्रेस काम कर रही हैं। कांग्रेस के सभी नेता केवल अपने लिए काम कर रहे हैं जिसकी वजह से पहले राज्य को नुकसान हो चुका है। उन्होने कहा कि हालांकि यह पार्टी का अंदरुनी मामला है कि हरीश रावत जी को क्यों नहीं बुलाया गया लेकिन पार्टी हमेशा से आपस में लड़ कर सरकार पर आरोप लगाती है।कांग्रेस ने जनता के साथ धोखा किया है जिसका जवाब जनता ने कांग्रेस को सबक सिखाकर दिया है।”

बहरहाल इतना तो तय है कि कांग्रेस का राज्य में हार का बड़ा कारण पार्टी में अंद्रूनी गुटबाजी रही है। और इसी गुटबाजी के कारण पार्टी राज्य में सत्ता में वापसी का राह को भी आसान नहीं बना पा रही है। ऐसे में दिल्ली में पार्टी हाईकमान के लिये ज़रूरी है कि वो राज्य कांग्रेस को पटरी पर लाने के लिये हस्तकक्षेप करे।

जहां एक तरफ हरीश रावत ने टिव्टर के माध्यम से अपनी नाराज़गी जाहिर की है वहीं दूसरी तरफ बुधवार को ऋषिकेश में एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे और मीडिया से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने अपने और कांग्रेस के बीच चल रही बातों को दरकिनारे कर कहा कि वह कांग्रेस के सच्चे सिपाही हैं और कांग्रेस और उनके बीच में सब कुछ ठीक है।