बेटी की हुई जीत, तीन तलाक पर जंग में जीती बेटी : शायरा बानो के पिता

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तीन तलाक पर एक महिला की जंग को आखिर मुकाम मिल ही गया। मुस्लिम धर्मगुरुओं से लेकर मुस्लिम न्याय व्यवस्था को चुनोती देते हुए काशीपुर की रहने वाली शायरा बानों ने हिम्मत नहीं हारी और डट कर मुकाबला किया। महिलाओं के अधिकारों के लिए शायरा की मेहनत रंग लाई और लम्बी जद्दोदहद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी माना की तीन तलाक असंवैधाानिक है। यही नहीं छ महीने में केन्द्र सरकार के इसके लिये कानून बनाने के लिये भी रहा।

 इस फैसले पर शायरा बानों का परिवार अपनी बेटी की हिम्मत की दाद देते हैं। उनका कहना है कि ये उनकी बेटी की जिन्दगी का सवाल नहीं है बल्कि मुस्लिम समाज में जन्म लेने वाली हर बेटी के अधिकार का मामला है जिसके लिए उनकी बेटी ने ये जंग शुरु की थी। शायरा बानों के पिता ने बताया कि उन्होने अपनी बेटी का हर कठीन परिस्थिति मे साथ दिया। मामला क्योंकि धर्म से जुड़ा था इसलिये उसके रास्ते में मुश्किलें बहुत आई मगर बेटी ने हिम्मत नहीं हारी। सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर निर्णय के बाद याचिकाकर्ता शायरा बानो के पिता के चेहरे पर खुशी झलक रही है। उन्होंने अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचारों को आज मिले इस न्याय पर खुशी जाहिर की।  उनका कहना है कि ये ना केवल उनकी बेटी को मिला न्याय है बल्कि आने वाली मुस्लिम बेटियों को आज से इस दर्द से रू-ब-रु नहीं होना होगा ।

अपनी बेटी पर तीन तलाक की मार को याद करते हुए उन्होने कहा कि वो तलाक के उस पत्र को  कभी नहीं भूल सकते जो उनके घर में मातम लेक़र आया था । इसके बाद केस अलाहाबाद और फिर दिल्ली की सुप्रीम कोर्ट में चला। सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो से कहा था कि अगर वो बच्चों से मिलना चाहती हैं तो परिवार न्यायालय काशीपुर में पत्र देकर अनुमति लें। आज न्यायालय ने शायरा बानो की जनहित याचिका को सुनते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है जिससे शायरा बानो के परिजन भी खुश हैं ।