किसान आत्महत्या के मामले में सीएम ने दिये जांच के आदेश

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    सीमांत पिथौरागढ़ जिले में कर्ज के बोझ तले दबे एक किसान ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद ग्रामीणों व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बेरीनाग में ऋण माफी की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।बेरीनाग तहसील के पुरानाथल गांव के सरतोला तोक के 60 के निवासी सुरेंद्र सिंह ने पांच वर्ष पूर्व साधन सहकारी समिति पुरानाथल से कृषि कार्य के लिए 75 हजार रुपये का कर्ज लिया था। इसके बाद उसने ग्रामीण बैंक बेरीनाग से चार वर्ष पूर्व 50 हजार रुपये का ऋण लिया।

    मेहनत मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे किसान सुरेंद्र ने दो रोज पूर्व पुरानाथल कस्बे में कई लोगों को बताया था कि लोन जमा करने के लिए बैंक से दबाव बनाया जा रहा है। उसे नोटिस थमाया गया है।kishan सुरेंद्र इस उम्मीद में था कि शायद सरकार की किसी योजना में कृषि ऋण माफ हो जाए, लेकिन ऐसी कोई पहल नहीं होने से वह तनाव में था। ग्रामीणों के अनुसार इसी तनाव में गुरुवार रात्रि उसने घर पर ही जहरीला पदार्थ खा लिया।

    इसकी जानकारी होते ही परिजन उसे स्वास्थ केंद्र लाए। चिकित्सकों ने गंभीर हालत देखते हुए उसे पिथौरागढ़ जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। जहां शुक्रवार सुबह सुरेंद्र ने दम तोड़ दिया। मृतक के दो बेटे हैं और दोनों बेरोजगार हैं। दोनों बेटों के नाम पर भी कृषि ऋण है।

    मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी मजिस्ट्रेट जाँच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि “मृतक के परिवार की हर सम्भव सहायता की जाएगी। किसानों के प्रति राज्य सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है। किसानों को केवल 2 प्रतिशत जैसी बेहद कम ब्याज दर पर 1 लाख रूपए तक ऋण उपलब्ध करवाए जाने का निर्णय लिया जा चुका है। राज्य सरकार किसानों की आय को बढ़ाए जाने की कार्ययोजना पर काम कर रही है। किसानो को बुनियादी तौर पर आर्थिक रूप से मजबूत बनाना सरकार की प्राथमिकता है।”

    वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में किसान द्वारा आत्महत्या किया जाना गंभीर विषय है। किसान द्वारा आत्महत्या किये जाने से लगता है की किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। किसान ऋण तले दबता जा रहा है।  2017 के चुनाव में भाजपा ने कहा था कि यदि हमारी सरकार आएगी तो किसानों का ऋण माफ़ करने के साथ ही उन्हें ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा।  सरकार अपने इस वायदे से विमुख हुई है। कांग्रेस ने यह मुददा विधानसभा सत्र में भी उठाया था, जिससे भाजपा सरकार ने अपने कदम पीछे खींचे है। उत्तराखंड के किसानों में भाजपा सरकार के खिलाफ असंतोष है।