पहली बारिश ने ही खोल दी पोल

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 मानसून की पहली बारिश ने व्यवस्थाओं को आइना दिखा दिया। तमाम व्यवस्थाओं के वादे बारिश के पानी में डूब गए। आलम यह था कि शहर की सड़कें नदियों की तरह नजर आने लगी। सभी वादे डूबते, लड़खड़ाते और धड़ाम करते लोगों के लिए यह मानसून यादगार बन गया। जैसे-तैसे लोगों ने बारिश से दो चार होकर पार किया।

हर कोई गर्मी से आजिज था। आंख खुलते नजारा ही और था। पूरा शहर जलमग्न और घरों तक पानी। सड़कों का नजारा देखकर हर किसी का कलेजा मुंह को आ गया। बजबजाती गंदगी और लबालब सड़कों ने हर किसी को चौंका दिया। झमाझम बारिश के बीच कामकाजी लोग घर से बाहर निकले तो यह समझ नहीं आया कि कहां से निकलें। हर तरफ पानी से लबालब सड़कें, बजबजाती गंदगी और हिचकोले खाते वाहन। पूरे शहर को बारिश के पानी ने अपने आगोश में ले लिया। परशुराम चौक से लेकर इंदिरा चौक, किच्छा रोड, काशीपुर रोड पर हर तरफ बारिश के पानी में वाहन गोते लगा रहे थे। इनमें कुछ वाहन गड्ढों भरी सड़कों के शिकार भी हो गए। खास बात यह है कि गाबा चौक को सही कराने के वादे करने वाले विभागों की पोल खुलकर रह गई। गाबा चौक पर बरसात से उधड़ी बजरी लोगों के लिए काल बनकर आई। यहां सुबह छह बजे से लोगों के वाहन फिसलने का सिलसिला शुरू हो गया।

बारिश में डूबी सड़कें और उनमें रिस रही बजरी ने कई ई-रिक्शा, बाइक और साइकिलों को कलाबाजी खिला दी। इतना ही नहीं चौपहिया वाहन भी रेंगने लगे। कई वाहन तेज रफ्तार में आए भी, लेकिन पहिया फिसलते ही अचानक रुक गए। इस मंजर ने वहां पर लंबा जाम लगा दिया। हर मोड़ पर भरे पानी ने लोगों का निकलना दूभर कर दिया। सड़कों पर सिर्फ चौपहिया और दोपहिया वाहन ही दिखाई दिए। जबकि कुछ एक जरूरी काम पर जाने वाले लोग भी चारों तरफ भरे पानी में घिर गए। दोपहर 12 बजे के बाद यह बारिश कुछ हल्की हुई और हल्की धूप के दर्शन हुए, लेकिन कुछ देर बाद ही मौसम ने फिर करवट ले ली। बारिश से गर्मी से निजात मिल गई, लेकिन व्यवस्थाओं को आइना भी दिखा दिया।