उत्तर पूर्व में डोकलाम को लेकर भारत चीन के बीच तनातनी बढ़ रही है। वहीं, उत्तराखंड की सीमा पर भी चीनी सेना की दखल बढ़ रही है। बीते कुछ दिनों में चीनी सेना ने स्थानीय लोगों को धमकाने और भारतीय सीमा में प्रवेश कर अपने मंसूबे साफ किए हैं। उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा रेखा को लेकर दोनों देश अपना-अपना दावा कर रहे हैं।
इसी बीच उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व पर्यटन मंत्री और भारत तिब्बत व्यापार से जुडे़ पुराने व्यवसायी केदार सिंह फोनिया ने प्रमाणों के आधार पर सनसनी खेज खुलासा किया। उन्होंने कहा कि बडाहोती तो भारत का है ही। अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा बडाहोती से तीन किमी आगे तनजुन ला पर है। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति चा उन लाई की अदुरदर्शिता के कारण भारत के बडाहोती को नौ मेंस लैंड घोषित किया गया।
भारत-चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच मीडिया से बातचीत में पूर्व भाजपा नेता व मंत्री रही केदार सिंह फोनिया ने बताया कि जब गढ़वाल का विभाजन हुआ तो एक हिस्सा टिहरी नरेश के आधिपत्य में गया और दूसरा ब्रिटिश सरकार के हिस्से में गया। 1814 में ब्रिटिश सरकार और तिब्बती दमाई लामा के बीच समझौता हुआ और गढ़वाल और तिब्बत की सीमा रेखा तनजुन ला घोषित की गई। 1948 व 50 के बीच में तिब्बत पर चीन ने अधिपत्य किया और चीन की सेना बाड़ाहोती के पास तक आ गई।
1956 में दोनों देशों की सेना बाड़ाहोती में काफी नजदीक पहुंच गई थी। जबकि, अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा तनजुन ला थी। चीन सीना सीमा रेखा को लांघते हुए बाडा़होती के पास तक आ गई थी। उन्होंने बताया कि उससे पहले बाड़ाहोती में पीएससी की कंपनी तैनात थी। कंपनी कमांडर पित्रसेन रतुडी थे जो सुभाष चंद्र बोस की सेना में रह चुके थे।
चीन के राष्ट्रपति चा उन लाई और भारत के प्रधानमंत्री नेहरू की अदुरदर्शिता के कारण बाडड़ाहोती में दोनों ओर की सेना तीन-तीन किमी पीछे हटी। जबकि, चीन की सीमा बाड़ाहोती से तीन किमी पीछे तनजुन ला थी, ऐसे में चीनी सेना को छह किलोमीटर पीछे जाना चाहिए था। लेकिन, भारतीय राजनीतिक अदूरदर्शिता के कारण ऐसा हुआ।
फोनिया ने कहा कि वे आजजादी से पहले खुद तनजुन ला के दुसरी ओर व्यापार के लिए जा चुके हैं। 90 वर्षीय फोनिया कहते हैं कि बडाहोती भारत का हिस्सा है। इतना ही तनजुन ला तक भारतीय जमीन है। मूल रूप से भारत और तिब्बत की लाइन आॅफ कंट्रोल तनजुन ला ही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को अपनी जमीन वापस लेनी चाहिए। चीन की मौजूदा रणनीति भी यह है कि नौ मैंस लैंड पर कब्जा किया जाए और इसके बाद भारतीय सीमा के आसपास हस्तक्षेप शुरू किया जाए।