मेट्रो के लिए पूरे शहर के ट्रांसपोर्ट पर फोकस जरूरी

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मेट्रो रेल परियोजना परवान चढ़ी तो दून के लोगों को सिर्फ मेट्रो की ही सुविधा नहीं मिलेगी, बल्कि पूरे शहर की ट्रांसपोर्ट (परिवहन) व्यवस्था स्मार्ट बनेगी। हाल ही में जारी की गई केंद्र सरकार की मेट्रो नीति में स्पष्ट किया गया है कि मेट्रो का विकल्प अपनाने के साथ ही शहर में एकीकृत परिवहन प्रणाली भी विकसित करनी होगी। इसको लेकर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। वहीं, शनिवार को नई दिल्ली में शहरी विकास मंत्रालय की कार्यशाला में भी नए नियमों की जानकारी दी गई। इस कार्यशाला में उत्तराखंड से जितेंद्र त्यागी उपस्थित रहे।

उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी के मुताबिक मेट्रो रेल परियोजना में केंद्र सरकार 50 फीसद धनराशि का सहयोग करेगी, हालांकि यह राशि तभी मिलेगी, जब राज्य मेट्रो परियोजना के साथ एकीकृत ट्रांसपोर्ट की योजना भी बनाएगा। मेट्रो परियोजना की डीपीआर बन चुकी है और मेट्रो नीति-2017 के मुताबिक एकीकृत परिवहन प्रणाली के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया है। इसके तहत दून में आधुनिक बस सेवा के साथ ही साइकिल व पैदल पथ निर्माण आदि के इंतजाम किए जाने का सुझाव दिया गया है। नई नीति में यह भी स्पष्ट किया गया है कि एकीकृत ट्रांसपोर्ट व्यवस्था घने क्षेत्रों को लाभ पहुंचाने वाली हो।
पीपीपी मोड की भी अनिवार्यता
मेट्रो नीति में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर भी काम करने की अनिवार्यता की गई है। इसके तहत पूरी परियोजना के किसी भी एक कंपोनेंट में पीपीपी मोड में काम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि मेट्रो परियोजना राज्य व केंद्र मिलकर बना रहे हैं तो स्टेशन आदि निर्माण पीपीपी मोड में किया जा सकता है। कम वित्तीय संसाधनों वाले उत्तराखंड के लिए नीति काफी मददगार साबित हो सकती है। पीपीपी मोड से धन जुटाने की कवायद पहले ही शुरू की जा चुकी है और अब केंद्र से 50 फीसद बजट मिलने की भी उम्मीद है।
त्यागी को मना सकती है सरकार
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक जितेंद्र त्यागी इस पद से इस्तीफा दे चुके हैं और वह नोटिस पीरियड पर चल रहे हैं। हालांकि इस सबके बीच वह दिल्ली में मेट्रो नीति पर आयोजित कार्यशाला में राज्य की तरफ से शरीक हुए और मुख्य सचिव को भी वह एकीकृत परिवहन व्यवस्था पर पत्र लिख चुके हैं। फरवरी माह में जब उन्होंने प्रबंध निदेशक का पद्भार ग्रहण किया तो वह इसी भावना के साथ जुड़े थे कि प्रदेश के लिए कुछ ठोस करना है। हालांकि इन सबके बाद भी कुछ हालात ऐसे पैदा हुए कि उन्हें इस्तीफा देने जैसा कदम उठाना पड़ा। यदि अंतिम रूप से ऐसा हुआ तो दून की मेट्रो परियोजना को झटका लगना तय है। सरकार भी इस बात को जानती है, शायद यही वजह है कि खुद शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक नहीं चाहते कि जितेंद्र त्यागी इस पद को छोड़कर जाएं। शहरी विकास मंत्री का कहना है कि अभी जितेंद्र त्यागी ने इस्तीफे की पेशकश की है। सरकार प्रयास करेगी कि वह सेवा जारी रखें, इसके लिए उनसे बात की जाएगी।
मेट्रो परियोजना पर एक नजर
-लंबाई, करीब 100 किलोमीटर (देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश)
-लागत, करीब 26-27 हजार करोड़ रुपये
-मेट्रो कॉरीडोर, देहरादून, हरिद्वार व ऋषिकेश (मुख्य कॉरीडोर)
-अंदरूनी कॉरीडोर, आइएसबीटी-कंडोली व वन अनुसंधान संस्थान-रायपुर
स्टेशन, पहले चरण में मुख्य कॉरीडोर पर 33 स्टेशन बनेंगे।
संभावित यात्री, रोजाना 1.68 लाख यात्रियों का अनुमान