भ्रष्टाचार की गंदगी में स्वच्छ भारत मिशन

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स्वच्छता के मिशन पर भ्रष्टाचार की गंदगी पसरी है। जिम्मेदार लोग ही मिशन को पलीता लगा रहे हैं। मिशन के नाम पर महज खानापूर्ति कर अपनी जेब भर रहे हैं,  यह सब देखना है तो ग्राम बाबरखेड़ा, काशीपुर चले आइए। यहां स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय तो बना दिए गए, लेकिन वह किसी काम के नहीं हैं। इस वजह से आज भी लोग खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।

केंद्र सरकार ने देश में सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्वच्छ भारत मिशन चला रखा है। लोग खुले में शौच न करें, इसके लिए शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहन राशि भी दे रही है। गांव बाबरखेड़ा में 11 सौ परिवार हैं। ग्राम प्रधान ने वर्ष 2015-16 में गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत 500 शौचालय निर्माण कराने की सूची स्वजल परियोजना को सौंपी। परियोजना से शौचालय तो बनाए गए, मगर शौचालय की हालत देखकर वह कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। हकीकत यह है कि मौके पर शौचालयों का हाल बुरा है। शौचालय आधे-अधूरे बने हैं। शौचालयों के नाम पर महज खानापूर्ति की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि शौचालयों की गुणवत्ता खराब है और मानक के हिसाब से नहीं बनाया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रोत्साहन राशि उन्हें दी होती तो वह अपने हिसाब से अच्छा शौचालय बनाते। आरोप लगाया कि शौचालय के नाम पर धांधली की गई है। इस मामले की जांच कराई जाए तो निश्चित तौर पर कई लोग जांच में फंस सकते हैं।