अख़बार में खाना परोसने पर लगे बैन : एफएसएआई

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पैकेज्ड फूड कंपनियों पर सख़्ती करने के बाद अब खाद्य नियामक ने खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए किराना दुकानों और सड़क विक्रेताओं को नियंत्रित करने का फैसला किया है। फूड सेफ्टी और स्टैन्डर्ड आथोरिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने अब खाने की सामाग्री को अखबार में देना या पैक करना पर बैन लगा दिया है, जो कि बहुत सामान्य तरीका है छोटे दुकानदारों और सड़क पर खाने का सामान बेचने वाले विक्रेताओं में।

अपनी एडवाइसरी में एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों से कहा कि पैकिंग के लिए समाचार पत्र के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। अखबार में खाद्य पदार्थों को परोसने से या उसको स्टोर करने से अखबार की स्याही भोजन को दूषित कर सकती है, जिससे गंभीर रुप से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।

एफएसएसएआई ने अपनी एडवाईसरी में बताया है कि बड़े बूढ़े, किशोरों, बच्चों और जिन लोगों को कैंसर से संबंधित समस्याओं के लिए इम्यूनिटी कमजोर है वे इस तरह की सामग्री में पैक भोजन करगें तो उनके लिए बड़ी समस्या हो सकती है।

केंद्रीय आवास मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक, 2014 में 10 लाख सड़क विक्रेता शहरो मे थे। कंस्लटिंग फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप का अनुमान है 2014-15 में लगभग 2 लाख किराना भंडार हैं।

अखबार का इस्तेमाल खाना लपेटने, ढकने और परोसने के लिए या तले हुए भोजन का ज्यादा तेल निकालने के लिए नहीं होना चाहिए। यहां बहुत जरुरी है कि ऐसी मान्यता को रोकने के लिए सभी व्यापारियों,खासकर अव्यवस्थित दुकानदारों और उपभोकताओं को इससे होने वाले नुकसान से अवगत कराना चाहिए। एफएसएसऐआई ने अपनी एडवाईसरी में कहा है कि अखबार में खाने के सामान की पैकिंग को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए जाने चाहिए।  

जबकि फूड सेफ्टी रेगुलेटर ने अभी तक पेनाल्टी की कोई राशि तय नहीं की है। एफएसएसएआई के एक अधिकारी ने इस निर्णय को नही मानने पर किसी भी तरह के फाइन या पेनाल्टी पर बात करने से इंकार कर दिया है।

प्रिंट के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में, बायोएक्टिव मैटेरियल के साथ,नुकसानदेह रंग, पिगमेंट, बाइंडर,एडिटिव,प्रिजरवेटिव,केमिकल दूषणकारी तत्व और पैथोजेनिक माइक्रोआरगेनिजम पाए जाते हैं जिसकी वजह से स्वास्थय संबंधी समस्या हो सकती है, एफएसएसएआई के परामर्श के मुताबिक अखबार,कागज और कार्डबोर्ड के डब्बे जो रिसाइकिल के बाद बनते हैं उनमें मेटालिक दूषणकारी तत्व, खनिज तेल और प्रदूषित केमिकल्स जैसे थैलेट्स होते हैं जिसकी वजह से पाचन संबंधी बीमारियां और उससे खतरनाक टाॅक्सिकेंट होने का खतरा है।

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अखबार में खाने को पैक करना एक गलत आदत है और इस खानों को खाना स्वास्थय के लिए हानिकारक है चाहे खाना कितनी भी सफाई से तैयार किया गया हो। छोटे होटल, दुकानदार, और कई बार घर में ही खाने का ज्यादा तेल निकालने के लिए अखबार का प्रयोग भारत में लोगों को धीमे ज़हर की तरह लोगों के बीच फैल रहा।

पिछले कई सालों में यह पहली बार है कि एफएसएसएआई ने खाने की पैकिंग के विषय में नया नियम निकाला है। अभी तक यह संस्था पेकिंग खाने के स्टेंडर्ड को लेकर केंद्रित थी।

भारत सरकार प्लास्टिक की थैलियों को बैन करने का प्रयास काफी समय से कर रही जो सामान को स्टोर और ट्रासपोर्ट करने के काम आता है।अक्टूबर 2012 में सरकार ने प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी, लेकिन य़ह कानून पारित नहीं हो पाया क्योंकि पलास्टिक की थैलियां बनाने वाली कंमपनियों ने दिल्ली हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपनी बात रखी थी जिसके बाद आज तक इस पर कोई फैसला नहीं आया है।