जीएसटी की मार का परिणाम खादी आश्रम से सुविधाएं खत्म

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देहरादून। गांधी के सपनों को साकार करने वाले स्वदेशी के भावना से संचालित गांधी आश्रम इन दिनों अव्यवस्था का शिकार हो रहे हैं। लगातार बढ़ रहा घाटा और कुप्रबंधन कर्मचारियों को और हतोत्साहित कर रहा है। हालांकि इसके पीछे 2013-2014 में दैवीय आपदा से हुआ घाटा तो है ही। अब लगभग 12 प्रतिशत जीएसटी ने खादी की कमर तोड़ दी है। इसी का प्रमाण पिछले दिनों लिया गया निर्णय है, जिसके कारण क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं में असंतोष की कार्रवाई चिंगारी भड़क रही है।


देहरादून का क्षेत्रीय गांधी आश्रम अपने कार्यकर्ताओं की सुविधा के बजाय उन्हें दुविधा देने लगा है। इसका प्रमाण पांच दिसम्बर को धामपुर में एक बैठक है, जिसमें कार्यकर्ताओं की उम्र 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्णय लिया जाना था जिसका कार्यकर्ताओं ने पुरजोर विरोध किया। इसके बाद यह निर्णय तो रुक गया लेकिन प्रबंध तंत्र की ओर से कई ऐसे निर्णय लिए गए, जो छोटे कर्मचारियों के लिए असुविधा का कारण बन रहे हैं। इन निर्णयों के अनुसार छह दिसम्बर को प्रबंध समिति ने कुछ अप्रिय निर्णय लिया, जिनमें उन कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया है जो जैसे-तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।
इस बैठक में अनुग्रह राशि और ग्रेच्युटी खत्म करने की साजिश रची गई लेकिन उसे विरोध के कारण रोकना पड़ा। जिसका परिणाम यह रहा कि अब जो लोग झुग्गी-झोपड़ी बनाकर मलिन बस्तियों में भी रह रहे हैं, उनको दिया जाने वाला मकान भत्ता भी समाप्त कर दिया गया है। साथ ही बच्चों के शिक्षण के लिए मिलने वाला शुल्क खत्म कर दिया गया है। इतना ही नहीं वर्ष में एक बार सपरिवार घर आने-जाने वाला रियायती सफर खर्च भी समाप्त कर दिया गया है, जिसके कारण कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। गांधी आश्रम जहां चार सौ से अधिक कर्मचारी कार्य करते थे अब लगभग दो सौ के आसपास कर्मचारी हैं। फायदे में रहने वाला गांधी आश्रम में लगातार घाटे में जा रहा है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, देहरादून और उत्तर प्रदेश के बिजनौर तक फैला क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम दयनीय स्थिति तक पहुंच गया है। कार्यकर्ताओं को समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहा है।
अब जब खादी पर भी जीएसटी लागू हो गया है। ऐसे में गांधी आश्रम और रसातल की ओर जा रहा है, जिसके कारण स्थिति लगातार गम्भीर होती जा रही है। इस संदर्भ में क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के निदेशक इन्दासन यादव से चर्चा की गई। उनका कहना था कि गांधी आश्रम आपदा के बाद आर्थिक तंगी में आ गया था और अब जीएसटी के कारण और इस स्थिति गम्भीर हो गई है। श्री यादव ने बताया कि वे एक बैठक में भाग लेने गैरसैंण जा रहे हैं। वहां से लौटने के बाद इस बारे में पूरी चर्चा कर पाएंगे।