गंगा के बाद अब गंगोत्री-यमुनोत्री को भी मिला मानव अधिकार

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हाई कोर्ट ने गंगा-यमुना के बाद अब गंगोत्री और यमनोत्री ग्लेशियर को भी जीवित व्यक्ति यानी एक नागरिक के अधिकार दे दिए हैं। इसके साथ ही इस क्षेत्रबकी नदियों, झील-झरने और घास के मैदान भी इस श्रेणी में आ गए हैं। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और आलोक सिंह की संयुक्त फैसले ने याचिकबपर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिए है।कोर्ट ने सरकार को प्रदेश के 7 जन प्रतिनिधियों का चयन करके इसके लिए कमेटी का गठन करने को भी कहा है।
ग्लेशियर को मानव का दर्जा मिलने से इन क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां सीमित होगीं। इसका असर ग्लेशियर की सेहत पर पड़ेगा और इनके पिघलने की रफ्तार भी कम हो सकती है। गंगोत्री ग्लेशियर की लंबाई 30 और चौड़ाई लगभग 4 किमी है। उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम तक केंद्र सरकार पहले ही इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित कर चुकी है। भागीरथी नदी को भी मानव का दर्जा दिया जा चूका है। अब गंगोत्री ग्लेशियर में भी मानव हलचल को कम किया जा सकेगा। जिसका लाभ इस पूरे क्षेत्र के पयार्वरण को मिलेगा।
ऋषिकेश से गंगोत्री धाम की दूरी 224 किमी है।गंगोत्री ग्लेशियर पहले गंगोत्री के काफी करीब था। लेकिन ग्लेशियर पिघलने की वजह से अब 18 किमी दूर पहुंच चुका है। वैज्ञानिक लंबे समय से इस क्षेत्र में मानवीय गतिविधियोंको कम करने की मांग कर रहे थे। अब कोर्ट ने उनकी मुराद पूरी कर दी है।
हरिद्वार निवासी अधिवक्ता ललित मिगलानी ने गंगा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। हाई कोर्ट ने 2 दिसम्बर 2016 को इस मामले में फैसला दिया था। इसका पालन नहीं होने पर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही प्रदेश के सभी जिलाधिकारी तलब किए थे। इसमें गंगा में प्रदूषण फैला रहे आश्रमो, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व उधोगों को फौरन प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए थे।