देहरादून। वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के ढाई लाख से अधिक घरों में ताले लटके हैं। इसके बाद भी ऐसा कोई जादुई चाबुक नहीं चला, जिससे यह कहा जाए कि पलायन की रफ्तार थमी है, बल्कि यूं कहें कि इसमें और तेजी आई है। जाहिर है, इससे राज्य सरकार की पेशानी में बल पड़े हैं और उसने पलायन थामने के लिए उद्योगों को पहाड़ चढ़ाने का निश्चय किया है। इसके तहत प्रदेश के सभी 670 न्याय पंचायत मुख्यालयों में औद्योगिक ग्रोथ सेंटर खोलने का निर्णय लिया गया है।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अनुसार प्रथम चरण में 50 ग्रोथ सेंटर खोले जाएंगे। प्रत्येक ग्रोथ सेंटर में क्षेत्र के 200 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की मंशा है। धीरे-धीरे इस पहल को सभी न्याय पंचायत मुख्यालयों तक ले जाया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन का सिलसिला राज्य गठन के बाद भी थमने की बजाए और तेजी से बढ़ा है। गिरि संस्थान लखनऊ की अध्ययन रिपोर्ट को ही देखें तो पिछले एक दशक के दौरान हर गांव से कम से कम 30 परिवारों ने पाल्यों की बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए पलायन किया है। हिमालय दिवस पर नौ व दस सितम्बर को देहरादून में आयोजित सतत पर्वतीय विकास शिखर सम्मेलन में पलायन का मसला प्रमुखता से उठा था। साथ ही सरकार को सुझाव दिए गए थे कि यदि रोजगार के उचित अवसर के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य पर बेहतर फोकस कर दिया जाए तो पलायन की रफ्तार पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है। इसके बाद नियोजन विभाग की ओर से तैयार किए गए मसौदे में पलायन थामने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में औद्योगिक ग्रोथ सेंटर खोलने पर बल दिया गया। सुझाव दिया गया था कि ग्रोथ सेंटर कस्बाई क्षेत्रों के इर्द-गिर्द विकसित किए जाएं। अब राज्य सरकार भी इस दिशा में गंभीर हुई है और उसने पहाड़ों में उद्योग ले जाने की ठानी है। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ ही स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्योगों पर जोर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पलायन सरकार की चिंता का विषय है और इस दिशा में ठोस प्रयास शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि न्याय पंचायत मुख्यालयों तक सड़क समेत अन्य सुविधाएं हैं। ऐसे में निर्णय लिया गया है कि प्रथम चरण में 50 न्याय पंचायत मुख्यालयों के आसपास ग्रोथ सेंटर खोले जाएं। इसके लिए भूमि चयन समेत अन्य कसरत तेज करने को अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। धीरे-धीरे सभी 670 न्याय पंचायत मुख्यालयों में ग्रोथ सेंटर तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा कलस्टर आधारित फसलोत्पादन, विपणन सेंटर समेत अन्य कदम भी उठाए जा रहे हैं।
पहाड़ में उद्योग चढ़ाने की पहल के तहत सरकार 2008 की पर्वतीय औद्योगिक नीति का भी अध्ययन कर रही है। इसके तहत उन कारणों की पड़ताल की जाएगी, जिनकी वजह से पहाड़ों में उद्योग चढ़ाने की कसरत परवान नहीं चढ़ पाई थी। कोशिश इस बात की है कि इस बार पूरी तैयारी के साथ पहाड़ों का भी औद्योगिक विकास हो।