ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए हरिद्वार के प्रदीप का चयन

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हरिद्वार। दुनिया के 173 देशों के 30 हजार शिक्षकों में से ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए 10 शिक्षकों का चयन किया गया है, उनमें हरिद्वार के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक प्रदीप नेगी भी शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए भारत से चयनित होने वाले प्रदीप नेगी एकमात्र टीचर हैं। प्रदीप शारीरिक रूप से दिव्यांग है। प्रदीप नेगी जल्द ही अब दुबई में अंतिम चयन के लिए होने वाले समारोह में शामिल होंगे। यदि प्रदीप नेगी अंतिम 10 में स्थान बनाने में सफल हो गए तो उन्हें लंदन में ग्लोबल टीचर पुरस्कार से नवाजे जाने के साथ ही उन्हें एक लाख डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी।

ग्लोबल टीचर पुरस्कार दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाले टीचरों को वारके फाउंडेशन नाम की संस्था द्वारा दिया जाता है। शिक्षक प्रदीप नेगी ने अपंग होने के बाद भी जो उपलब्धि हासिल की वह देश और प्रदेश के लिए गौरवांवित करने वाली है। एक पैर खराब होने के बाद भी बैसाखियों के सहारे चल कर एक सरकारी स्कूल का यह शिक्षक ने दुनिया पर छा जाने को तैयार है। प्रदीप नेगी जब महज दो साल के थे तो पोलियो की वजह से उनका एक पैर खराब हो गया था। धीरे-धीरे उम्र बढ़ती गई तो प्रदीप के भीतर दिव्यांग होने की वजह से हीनभावना आने लगी। इस दौरान उनके स्कूल के एक शिक्षक ने उनका हौसला बढ़ाया कि तो जैसे उनपर कुछ बनकर कर दिखाने का जुनून सवार हुआ। शारीरिक अक्षमता के बावजूद प्रदीप नेगी ने उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनका चयन पहली बार शिक्षक के लिए हुआ और उनकी नियुक्ति दुर्गम स्थान उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के जयखाला बोरेगावों के स्कूल में हुई। उन्हें नौकरी ज्वाइन करने के लिए खच्चर पर बैठकर स्कूल जाना पड़ा था। इसके बाद पहले रुड़की ओर फिर हरिद्वार के बीएचईएल स्थित राजकीय माध्यमिक स्कूल में स्थानानंतरण हुआ। प्रदीप नेगी आज दुनिया के ग्लोबल पुरस्कार के लिए सेमीफाइनल राउंड के बाद 30 हजार टीचरों में चुने गए 50 टीचरों में शामिल एकमात्र भारतीय टीचर हैं।
वारके फाउंडेशन द्वारा ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए भारत से प्रदीप नेगी को अंतिम 50 में चुना गया है।
दुबई में दुनिया भर से चुने गए 50 टीचरों में से अंतिम रूप से 10 टीचरों को चुना जाएगा। वारके फाउंडेशन ने ग्लोबल टीचर पुरस्कार के लिए दुनिया भर से आवेदन मांगे थे। 173 देशों से इसके लिए करीब 30 हजार शिक्षकों ने आवेदन किया था। आवेदन के साथ आवेदक को शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अपने कार्यों का पूरा ब्यौरा, उनके वीडियो फुटेज, फोटो, अब तक मिले पुरस्कारों की जानकारी ओर अन्य सभी जरूरी दस्तावेज फाउंडेशन की वेबसाइट पर अपलोड करने होते हैं। इसके आधार पर शॉर्टलिस्ट किए गए आवेदकों का ऑनलाइन साक्षात्कार लिया जाता है। काफी लंबी, जटिल और बेहद कड़ी प्रकिया के बाद प्रदीप नेगी को अंतिम 50 प्रतियोगियों में चुना गया है।
प्रदीप नेगी ने अपने शिक्षण करियर में सरकारी स्कूल के छात्रों को बेहतरीन स्टार की शिक्षा देने के लिए कई नवीन प्रयोग किए। अर्थशासत्र के प्रवक्ता के रूप में उन्होंने अपने विषय मे छात्रों की रुचि पैदा करने के लिए मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर, टूल्स, वेबसाइट, ब्लॉग बनाए। उत्तराखंड सरकार द्वारा माइक्रोसॉफ्ट के साथ तकनीकी शिक्षा के लिए किए किए गए करार के तहत कीपर्सन के रूप में छात्रों के लिए ई कंटेंट, सॉफ्टवेयर टूल्स, डाटा एनालिसिस तैयार किया। उन्होंने शिक्षा के लिए कई तरह के मॉड्यूल विकसित किए। प्रदीप नेगी ने टीचर ट्रेनिग प्रोग्राम के तहत अब तक 1200 से ज्यादा शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर ट्रेंड किया है। उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें आईसीटी का राष्ट्रपति पुरस्कार, माइक्रोसॉफ्ट इनोवेटिव अवार्ड समेत करीब आधा दर्जन से ज्यादा अवार्ड मिल चुके हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रदीप नेगी को सम्मानित कर चुके हैं। स्कूल के छात्रों का कहना है उन्हें केवल खुशी ही नहीं है बल्कि वो अपने एक शिक्षक की इस उपलब्धि पर बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। प्रदीप नेगी की बेटी अपने पापा की इस उपलब्धि से बेहद खुश है। उसका कहना है कि उसके पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं और दुनिया के 50 बेस्ट टीचर में से आकर उन्होंने उत्तराखंड का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया है।