कांग्रेस के लिए ‘वन मैन आर्मी’ बने हरीश रावत

0
805

उत्तराखंड में कांग्रेस पार्टी में पिछले कुछ महीनों औऱ खासतौर पर चुनावों के दौरान हुए मंथन के बाद काफी हद तक राज्य में कांग्रेस के पास हरीश रावत के अलावा कोई खास नेता बचा नही है। और शायद यही कारण है कि राज्य में चुनावों के दौरान प्रचार की कमान भी हरीश रावत के हाथों में तो है ही साथ ही साथ रावत के आस पास ही केंद्रित है। फिर चाहे वो हरीश रावत का हाल ही में जारी संकल्प पत्र हो या फिर राज्य के हर कोने में रैली और जनसभाऐं करने के लिये उनकी मांग। इस सबके बीच कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें हरीश रावत को प्रसिद्ध फिल्म बाहुबली के नायक के रूप में दिखाया गया है औऱ उन्हें उत्तराखंड का नायक बताया गया है। सोशल मीडिया पर वाइरल हो रहे इस वीडियो पर मोदी समेत बीजेपी के कई नेताओं पर तंज भी कसे गये हैं। बीजेपी के मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन का कहना है कि कांग्रेस के पास चुनाव में जाने के लिये कोई मुद्दे नही हैं इसलिये वो इस तरह के नाटकों का सहारा ले रही है।भसीन ने कहा खुद को बाहुबली दिखाने वाले सीएम वहीं है जिन्होंने पैसों से विधायक खरीदें और अपनी सरकार बचाने के लिए भ्रष्टाचार का सहारा लिया।खुद को बाहुवली कहने वाले सीएम अब तक के सबसे बलहीन सीएम रहे हैं।देवेंद्र भसीन ने कहा कि इस तरह के माध्यम से प्रचार करके कांग्रेस अपना दूषित मानसिकता को दिखा रही।भसीन ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री को इस तरह से दिखाने के लिए कांग्रेस को भाजपा से माफी मांगनी चाहिए।

FullSizeRender-6

रावत ने कांग्रेस की नय्या पार लगाने का जिम्मा इसलिए भी लिया है क्योंकि पार्टी के प्रत्याशी अपनी सीटों पर बुरी तरह से उलझे हुए है। जिस तरह से सहसपुर के टिकट को लेकर आर्येंद्र शर्मा जैसे उम्मीदवार ने पार्टी से हट कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया इससे पार्टी की नींव कमजोर पड़ती नज़र आ रही है। दूसरी तरफ मनमोहन सिंह मल्ल ने भी यह घोषणा कर दी है कि वे कांग्रेस पार्टी के निशान पर ही चुनाव लड़ेंगे। अब हालात यह है कि रावत को दो सीटों से चुनाव लड़ना पड़ रहा है जो की किसी चुनौती से कम नहीं हैं। रावत को आशा है कि इस तरह से वो गढ़वाल और कुमाऊं दोनों इलाकों में और सीटों पर भी पार्टी के पक्ष में हवा बनाने में कामयाब रहेंगे।

बहरहाल बीजपे इसे कांग्रेस में नेताओं की कमी कह रही है औऱ कांग्रेस हरीश रावत को राज्य का एकमात्र ज़मीनी नेता स्थापित करने में लगी है। इन दोनों में से कौन सही है और कौन गलत इसका फैसला तो 11 मार्च को नतीजे घोषित होने पर हो जायेगा।