रोज़गार की मीठी उड़ान है मधुमक्खी पालन

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उत्तराखंड प्रकृति से सराबोर एक ऐसा राज्य है जहां बाग बागानों और उद्यानों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में बहुत से लोग अपनी जीविका के लिए इन बागों पर निर्भर रहते हैं। जी हां इन्हीं बागों पर निर्भर है उन व्यापारियों की कहानी जो अपनी रोजी रोटी के लिए हर साल देहरादून के अलग अलग जगहों पर अपना टैंट लगाकर अपने व्यापार को आगे बढाते हैं।

अगर आपको तो अच्छी बात,नहीं तो हम आपको बता दें कि देहरादून की मीठी लीची दुनियाभर में मशहूर है। इन्हीं लीची के बागानों में आजकल मधुमक्खियों के व्यापारी अपनी मधुमक्खियों के घर लेकर रह रहे हैं और मधुमक्खी पालन उद्योग इसमें उनकी भरपूर मदद कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों से न सिर्फ लोगों का रुझान इसकी तरफ बढ़ा है, बल्कि खादी ग्राम उद्योग भी अपनी तरफ से कई सुविधाएं प्राप्त करा रहा है। मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है। फिलहाल शहद उत्पादन के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है।

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देहरादून के अलग अलग क्षेत्र बिंदाल पुल, रायपुर, वसंत विहार, डालनवाला, अजबपुर, राजपुर के बागान और उनके फुलों पर मधुमक्खियां ही नज़र आएंगी।बिंदाल के पास लीची के बाग में अपनी मधुमक्खियां लेकर आए व्यापारी रामकुमार बताते हैं कि सन 1992 से वह अपनी मधुमक्खी लेकर यहां आते हैं और शहद बनने तक यहीं रहते हैं।इस समय रामकुमार लगभग 1000 मधुमक्खी के बक्से के साथ यहां रह रहे हैं।रामकुमार कहते हैं कि लीची के फुलों से मधुमक्खियों को ज्यादा मात्रा में रस मिलता है जिससे शहद भी ज्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद निकलता है।सहारनपुर के यह व्यापारी हर साल अपना रुख देहरादून की तरफ मोड़ते हैं और शहद निकलने के बाद लाखों का व्यापार करते हैं।रामकुमार ने बताया कि इतना ही नहीं इस दौरान वह मधुमक्खी पालन के लिए वर्कशाप का आयोजन भी करते हैं।

मधुमक्खी पालन से संबंधित कुछ जरुरी सवालों के जवाब इस प्रकार हैः

  • कब शुरू करें मधुमक्खी पालन?
    मधुमक्खी पालन के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, लेकिन नवंबर से फरवरी का समय तो इस व्यवसाय के लिए वरदान है।
  • यह व्यवसाय कितनी लागत से शुरू किया जाना चाहिए?
    शुरू में यह व्यवसाय कम लागत से छोटे पैमाने पर आरंभ करना चाहिए। मधुमक्खी की प्रमुख किस्में छोटी मधुमक्खी, सारंग मधुमक्खी, भारतीय मधुमक्खी तथा इटेलियन मधुमक्खी का इस्तेमाल करना चाहिए। इन मधुमक्खियों से शहद अधिक प्राप्त होगा और मुनाफा भी ज्यादा होगा।
  • इसके लिए सबसे उपयुक्त मौसम कौन-सा है?
    सबसे उपयुक्त मौसम नवम्बर से फरवरी तक का है। यह समय मधुमक्खियों के लिए तापमान के हिसाब से सबसे उपयुक्त है और इसी मौसम में ही रानी मक्खी अधिक संख्या में अंडे देती है।
  • बचाव
    जहां मधुमक्खियां पाली जाएं, उसके आसपास की जमीन साफ-सुथरी होनी चाहिए। बड़े चींटे, मोमभझी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू मधुमक्खियों के दुश्मन हैं, इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए।

मधुमक्खी पालन ना केवल एक आसान बल्कि अच्छी आमदनी वाला व्यवसाय भी है।अगर इसके कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो बिना किसी प्रशिक्षण के भी लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं और अच्छा कर रहें हैं।खासकर प्रकृति के करीब शहर देहरादून जो फरवरी से लेकर मार्च के महीनों में मधुमक्खी पालन का केंद्र रहता है।