बद्रीनाथ और केदारनाथ मन्दिर समिती को दोबारा भंग करने के सरकार के फैसले को गलत मानते हुए आज न्यायाधीश सुधांशू धूलिया की एकलपीठ ने पूरी तरह से निरस्त कर दिया है ।समिति के सदस्य और याचिकाकर्ता दिवाकर चमोली व अन्य ने सरकार द्वारा समिती भंग करने के खिलाफ उच्च में याचिका दायर की थी जिसपर न्यायालय ने अंतिम आदेश पारित करते हुए श्री.बद्रीनाथ और केदारनाथ मन्दिर समिती को बहाल कर दिया है ।
याची ने सरकार पर असंवैधानिक तरीके से पहली बार समिती को भंग करने का आरोप लगाया था । पूर्व में सरकार ने एक अप्रैल 2017 को पहली बार सचिव धर्मस्व शैलेश बगौली को प्रशासक बनाया था ।
आपको बतादें कि राज्य सरकार ने अप्रैल के महीने में बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को भंग कर दिया था। इसके बाद समिति के कुछ सदस्य कोर्ट पहुंचे और कोर्ट ने 30 मई को राज्य सरकार को समिति को बहाल करने के आदेश दिये थे। हांलाकि 8 जून को सरकार ने स्पेशल क्लाॅज का हवाला देते हुए समिति को दोबारा भंग कर दिया था। हाई कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया।राज्य सरकार ने समिति एक्ट के क्लाॅज 2 ए, सेक्शन 11 का हवाला देते हुए इसे दोबारा भंग किया था। भंग करने करने के प्रमुख कारणों में से एक था सात मनोनीत सदस्यों का चयन जो कि सरकार के अनुसार समिति के संविधान के सेक्शन 5 के तहत नहीं हुआ। हांलाकि याचिकाकर्ता ने दलील दी कि ये कारण वैध नहीं है और समिति के किसी भी काम काज पर आज तक कोई विवाद नहीं खड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि कांग्रेस सरकार के समय गठित हुई समिति में ज्यादातर सदस्य और पदाधिकारी कांग्रेस से ताल्लुक रखते हैं जिसमें सबसे पहले समिति के चेयरमैन उस समय के कांग्रेसी विधायक गणेश गोदियाल हैं।