सरेआम हथियारों की नुमाईश पर हाईकोर्ट सख्त

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अब हथियारों की नुमाईश आप हर जगह नहीं कर पायेंगे। शादी समारोह हो या फिर धार्मिक आयोजन हथियारों को ले जाने पर पुरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। हाईकोर्ट ने खास तौर पर आदेश पारित करते हुए हथियारों को इन स्थानों पर ले जाने पर पाबंदी लगाई है। अापको बता दें कि हर्ष फायरिंग मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाते हुए राज्य में शादी समारोह, धार्मिक आयोजन, सार्वजनिक सभाओं व शैक्षिक संस्थानों में हथियार ले जाने पर पाबंदी लगा दी है। इतना ही नहीं, अदालत ने शस्त्र लाइसेंस जारी करने के संबंध में भी दिशा-निर्देश दिए हैं। इनका अनुपालन कराने के लिए जिला पुलिस प्रमुखों को जवाबदेह बनाया गया है।

हर्ष फायरिंग में दो लोगों की मौत के मामले में निचली अदालत से हुई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ दोषी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए। बागेश्वर निवासी धर्म सिंह ने गांव के ही भगवान सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि उसके शादी समारोह में हर्ष फायरिंग के दौरान चार लोगों को गोली लग गई थी। इनमें से दो की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत ने 12 जुलाई, 2013 को भगवान सिंह को हत्या में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि शस्त्र अधिनियम में बरी कर दिया था। भगवान सिंह ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त की अपील को गुणदोष के आधार पर खारिज कर दिया, साथ ही हर्ष फायरिंग को लेकर सख्त दिशा-निर्देश भी जारी किए।

अदालत ने अपने आदेशों में कहा है कि 21 साल से कम आयु वालों को शस्त्र लाइसेंस जारी न किए जाएं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि जिस व्यक्ति को हिंसा व अन्य मामलों में सजा हो चुकी हो, उसे पांच साल तक शस्त्र लाइसेंस देने पर विचार ही न किया जाए। अदालत ने शांति व्यवस्था के दौरान पुलिस की ओर से पाबंद किए गए व्यक्तियों को भी लाइसेंस जारी न करने को कहा है।