अब गंगा और यमुना नहीं रहेंगी जीवित मानव, गंगा को जीवित मानव का दर्जा दिए जाने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही दिन स्टे लगा दिया है। गंगा और यमुना नदी को जीवित मानव का दर्जा दिए जाने पर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका के तहत स्टे लगा दिया है।
बता दे की जनहित याचिका पर कार्यवाही करते हुए हाई कोर्ट ने गंगा और यमुना को जीवित मानव का दर्जा दिया था जिसको त्रिवेंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चेलेंज किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल स्टे लगा दिया है जिससे गंगा प्रेमी काफी नाखुश दिखाई दे रहे है।
गौरतलब है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका का निस्तारण करते हुए गंगा और यमुना नदी को जीवित का दर्जा दिया था इससे किसी भी तरह की छेड़छाड़ खनन और नदी के साथ ही गंदगी फेंकने वालों पर भी अाय.पी.सी. की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश था। गंगा और यमुना को एक जीवित मानव की तरह कानूनी दर्जा देते हुए अदालत ने नमामि गंगे के निदेशक, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और उत्तराखंड के महाधिवक्ता को नदियों के कानूनी अभिभावक होने के निर्देश दिए थे और उन्हें गंगा और यमुना और उसकी सहायक नदियों की सुरक्षा करने उनके संरक्षण की जिम्मेदारी दी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जय निर्मला ने त्रिवेंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इसे सिर्फ खनन माफिया को फायदा पहुंचाने की बात कही है।