अगर आप पहाड़ी और ख़ासतौर पर गढ़वाली खाने के शौक़ीन हैं तो मसूरी विंटरलाइन कार्निवल आपके लिये मुफ़ीद जगह रहेगी। अपने चौथे साल में चल रहे मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में इस बार ज़ोर न सिर्फ़ लोकल कलाकारों बल्कि पहाड़ी और ख़ासतौर पर गढ़वाली पकवानों पर रहेगा। जखिया आलू से लेकर मंडवे की रोटी, दाल के पकौड़े, झंगोरे की खीर यहाँ आने वाले पर्यटकों को बहुत लुभा रहे हैं।
कार्निवल में पहाड़ों के ख़ानपान के स्टालों के साथ साथ आयोजक एक सेलिब्रिटी शेफ़ को भी बुलाएगी जो यहाँ बन रहे पकवानों को जज करके पुरस्कृत करेंगे।
कार्निवल की ऑर्गनाइसिंग कमेटी के सदस्य सन्नी साहनी के मुताबिक़ “हांलाकि हमने अभी फ़ाइनल शड्यूल नहीं बनाया है लेकिन हम ज़रूर दो तीन दिन का गढ़वाली फ़ूड फ़ेस्टिवल का आयोजन करेंगे। इसके लिये हमने गढ़वाल मंडल विकास निगम केंद्र होटल को शॉर्टलिस्ट किया है”
इस सबके बीच गढवाली खाना ज़्यादातर से ज़्यादा लोगों की पसंद बनता जा रहा है। जे डब्लू मैरियट मसूरी के शेफ़ सुनील कुमार बताते हैं कि “पिछले कुछ सालों में पहाड़ी खाने की माँग लगातार बढ़ रही है। हमारे यहाँ आने वाले मेहमान ख़ासतौर पर पहाड़ी और लोकल खाने की माँग करते हैं”
ये पहाड़ी खाने की बढ़ती माँग ही है जिसके चलते मसूरी और कई शहरों के बड़े रेस्तराँ अब अपने मेन्यू में कई तरह के पहाड़ी व्यंजन शुरू कर रहे हैं। न सिर्फ़ पहाड़ी व्यंजन अकेले लोगों की पसंद बन रहे हैं बल्कि पहाड़ी और पारंपरिक व्यंजनों का मिक्स करके केंद्र नये स्वाद के व्यंजनों पर भी शेफ़ प्रयोग कर रहे हैं। इनमें से कुछ ख़ास हैं रागी (मांडवा पिज़्ज़ा), झंगोरा रिस्सोटो, कंडाली सूप, गीत के कबाब।
पिछले कुछ समय में सरकारी स्तर पर भी पहाड़ी व्यंजनों को प्रमोट करनी की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अन्य राज्यों की तर्ज़ पर पहाड़ी व्यंजनों को देश विदेश में पहचान दिलाने के लिये अभी काफ़ी कुछ करना बाकी है।