जब हिमालय ही नहीं रहेगा तो किसका विकास और कैसा विकासः राधा

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गोपेश्वर। वनों के व्यावसायिक कटान के विरोध में वन अध्ययन अभियान दल ने सर्वोदय केंद्र गोपेश्वर में आयोजित संवाद कार्यक्रम के तहत आल वेदर रोड निर्माण व बांधों के निर्माण के बहाने पेड़ों के व्यावसायिक कटान पर चिंता व्यक्त की है। प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक व कई राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित राधा बहन ने कहा कि हिमालय में विकास की बात की जा रही है, परंतु जब हिमालय ही नहीं रहेगा तो किसका विकास और कैसा विकास।

छात्रों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, पर्यावरण विशेषज्ञों के बीच आयोजित इस संवाद कार्यक्रम में बोलते हुए राधा बहन ने कहा कि सड़कें, बांध, पर्यटन, रेलवे लाइन आदि के निर्माण में पिछले दो वर्षों में दस लाख पेड़ काटे चुके हैं। वर्तमान में आल वेदर रोड के निर्माण में जिस तरह से पेड़ों की अंधाधुध कटाई चारधाम यात्रा मार्ग पर हो रही है, उससे पूरा हिमालय हिल चुका है। नदियों में गाद डाली जा रही है। छोटे-छोटे व्यवसायियों के हक और व्यवसाय मारे जा रहे है। गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक पड़ों की निर्मम कटाई हो रही है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन भूकंपीय क्षेत्र से बनायी जा रही है। पंचेश्वर बांध के निर्माण से पूरा हिमालय का पारिस्थितिकीय संतुलन खतरे में है। स्थानीय जनता के हक मारे जा रहे हैं, परंतु इसे विकास का नाम दिया जा रहा है। जबकि यह विकास नहीं बल्कि विनाश के आमंत्रण की योजना है।
वन अभियान दल के साथ चल रहे सुरेश भाई ने कहा कि चारधामों में आॅल वेदर सड़क के नाम पर जिस तरह से विकास के नाम पर दानवीय प्रवृति दिख रही है, वह खतरनाक संकेत है। 18 से 24 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और 24 मीटर का अधिग्रहण हो रहा है। आम आदमी और गांव के लोग अपने गांव में सड़क की बात करते हैं तो पर्यावरण अधिनियम का बहाना बनाया जाता है, लेकिन आॅल वेदर के नाम पर इतने पेड़ कट गये। अब इसका हिसाब कौन देगा। अभियान दल में आयी लक्ष्मी आश्रम कौसानी की नीमा वेष्णव, सर्वोदयी कार्यकर्ता मुरारी लाल, डा. गीता शाह, मनोज तिवारी, प्रमोद सेमवाल, जगदीश पोखरियालय ने भी हिमालयी चिंतन और विकास की परिभाषा पर अपने विचार रखे।