एजुकेशन सिस्टम का दबाव या कुछ और थी सुसाईड की वजह

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काशीपुर। मां मैं आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया हूं, मुझे माफ कर दिजिए ,सोरी, मेरी मौत का मै ही जिम्मेदार हूं… बस चन्द शब्द ही लिख पाया अपनी मां के लिये आई.आई.एम के प्रथम सत्र में पढने वाला यश बसन्ती भाई ठक्कर और फिर मौत को गले लगाते हुए पंखे पर लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी, यश की मौत के बाद कालेज में जहां सन्नाटा पसरा है वहीं यश की मौत को लेकर कई सवाल भी उठने लगे हैं…। पेश है एक रिपोर्ट…।-

गुजरात के कच्छ का रहने वाला यश ठक्कर अपने माता पिता का होनहार बेटा था, पढाई में हमेशा अव्वल रहने वाला यश देश के सबसे बडे शैक्षिणिक संस्थान आईआईएम काशीपुर में जुलाई को पहुंचा, सबसे अलग और गुमसुम रहने वाले यश ने आखिर क्यों अपनी जीवन लीला ये कहकर खत्म कर दी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकता एक सवाल बना है, यश के पिता बंसल बसंती भाई ठक्कर पेशे से बिजनेस मैन है जिन्होंने अपने बेटे को लेकर कई सपने देखे थे, मगर पहले सत्र में ही आखिर क्या हुआ जो यश ने पंखे पर लटक कर जान दे दी। फिलहाल इस गुत्थी से तो पर्दा नहीं उठा है लेकिन यश के परिजन आज उसका शव लेने काशीपुर पहुंचे, यश के मामा जो जिला जज है, उन्होने अपने भांजे का शव लिया और गुजरात के लिए रवाना हो गये, वहीं कालेज प्रशासन कुछ भी खुलकर कहने को तैयार नहीं।
वहीं पुलिस ने फिलहाल सुसाईड नोट को फोरेन्सिक जांच के लिए भेज दिया है, और कालेज में पुछताछ शुरु कर दी है, वहीं मोबाइल फोन को भी जांच में लगा दिया है, जिसमें यश के कनवर्सेशन की जांच होगी और फोन काल की डीटेल से सुराग तलाशे जाएंगे।

फिल्म थ्री इडीयट की कहानी जैसी लगती है यश ठक्कर की कहानी भी, जहां एजुकेशन सिस्टम का दबाव और माता पिता के सपनों को साकार करने में असफल रहने पर एक बेटा खुद को असमर्थ महसूस करता है तो वो भी हार कर जिन्दगी को छोड मौत को गले लगा लेता है, इसी लिए कहते हैं कि फिल्मे हमें कई प्रेरणा देती है कहीं एजुकेशन सिस्टम हो या फिर शिक्षा को लेकर माता पिता का बच्चों पर दबाव, ये सभी वजह बच्चों के मानसिक तनाव को बढाती है लेकिन उसको ना समझने वाले माता पिता को अपने बच्चों से हाथ धो बैठते है।